बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ (Top-7)

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भविष्य बताने वाले तोता 

जबलपुर नाम के एक गाँव में भीकू नाम का एक तोते वाला ज्योतिष रहता था | वह गाँव गाँव तोते के साथ घूमते हुए लोगो का भविष्य बताता था, वास्तव में वह कोई ज्योतिषी नही था वह लोगो की कमजोरी को भांपकर लोगो को ज्योतिष बताता था | 

एक दिन, एक गाँव में “ज्योतिष बताता हूँ .. ज्योतिष बताता हूँ.. जो बीता वो बताऊंगा, जो होगा वो बताऊंगा…  चमत्कारी तोता है,  आओ.. आओ. “ ऐसे आवाज देते हुए तोते के पिंजरे के साथ जा रहा था | 

चलते.. चलते… उस गाँव के चौपाल के पास जा पंहुचा, वहां एक बूढा – “ बेटा  जरा मेरी भविष्य बताओ | “

भीकू – तोताराम.. प्यारे तोताराम, जरा इन ताउजी का भविष्य बताओ, इनकी परेशानियों को दूर करने का उपाय बताओ | “ कहते हुए उसने तोते को इशारा किया, तब तोते ने उसके बताये हुए पत्ते को पिंजरे से बाहर निकलकर बताया | पत्ते पर लक्ष्मी जी की तस्वीर थी, तोता अन्दर चला गया | 

भीकू – “ आप पर लक्ष्मी जी की कृपा है, आज से आपके सारे दुःख दूर होगे | इस ताबीज की कीमत पांच सौ रूपए है, इसे बाँधने से लक्ष्मी जी की कृपा होगी | “

 वो बूढा पांच सौ रूपए देकर उस ताबीज को लेकर चला गया | 

भीकू शाम को एक जगह जाकर ठहरा,  एक फल खाना शुरू किया  | तोता ने कहा, “ मालिक एक फल दो ना, बहुत भूख लगी है |” 

भीकू – “ सत्यानाश, दिन में एक बार खिलाता हूँ, काफी नहीं है क्या…. निकम्मा तोता , बेकार तोता……. |” 

इस तरह भीकू तोते को डांटने लगा | , यह सुनकर तोते को बहुत गुस्सा आया | तोते ने सोचा, “इसको जरा भी अहसान नही है, इसके इशारे पर तस्वीर निकलता हूँ फिर भी खाने को नहीं देता है, खुदगर्ज … इसको तो सबक सिखाना ही होगा |” 

एक दिन एक सिपाही भीकू के पास आया और बोला, “ देखो, तुम्हारे तोते वाले भविष्य के बारे में महराज जी को पता चल गया, वो अपना भविष्य तुमसे जानने को उत्सुक हैं, तुम्हे तुरंत दरबार में लेन के लिए मुझे भेजा है |” 

वे दोनों एक जंगल के रास्ते महल के लिए चल पड़े | धोड़ी दूर जाकर तेज धुप के कारण दोनों थक गये, और एक पेड़ के नीचे आराम करते – करते सो गये | इतने में वहां एक बन्दर आया, वह पिंजरे में तोते को देखकर हैरान था | 

तोता – “ मित्र, मैं ज्योतिष वाला तोता हूँ, तुम जल्द ही राजयोग प्राप्त करने वाले हो, तुम्हारी स्वयं महराज ही सेवा करेंगे |”  

बन्दर – मै तुम्हारी बात का विश्वास क्यू करूँ, मै जंगल से महराज के पास कैसे जा सकता हूँ भला ……| “

 तोता – “यही तो गृहबल है, तुम मुझे इस पिंजरे से खोलोगे, तो मै और गौर से तुम्हारे ग्रहों की अधयाय कर तुम्हे बता सकता हूँ | “ 

बन्दर सहमत होकर पिंजरा खोला, तोता तुरंत पिंजरे से बहार आ गया | इतने में भीकू जाग गया और तोते को देखा |

 भीकू – “ रुको , रुको .. तुम बाहर कैसे आये ? “  

तोते ने बन्दर को आजाद करने के लिए धन्यवाद दिया और बन्दर से कहा मैंने तुमसे झूठ बोला में कोई भविष्यवाणी नहीं जानता, तुम तुरंत यहाँ से भाग जाओ वरना  ये तुम्हे पकड़ लेंगे | बन्दर तेजी से वहा से भाग गया और तोता भी उड़ गया | 

भीकू ने सैनिक से कहा की तोते के बिना महराज को भविष्य कैसे बताऊँ | सैनिक बोला, वहां कोई तोता मिलेगा उससे बतलवा देना | तब भीकू ने अपनी सारी करतूत बताई और महराज ने जब ये जाना तो उसे कैद में डाल दिया |

 

तो बच्चों हमें हमेशा अपनी मदद करने वालों का अहसान मानना चाहिए  |


गरीब  किसान 

बहुत समय पहले एक गाँव में मालिक नाम का एक गरीब बूढा किसान रहते था जोकि खेतीवादी के लिए बारिश पर निर्भर था | एक दिन – “ हे भगवान… !! , इस साल अच्छी बारिश होनी चाहिए वरना में और मेरा परिवार भूखा रह जायेगा, हम पर रहम करो प्रभु .. | 

इतने में मदन नाम का एक व्यक्ति आकर बोला की मदन काका कब तक खेतीवादी बारिश के भरोशे करते रहोगे आप तो जानते ही हो की में खेती नही करता अगर आप चाहो तो वो कुआँ मै आपको बेच सकता हूँ, वो मेरा ही है| ये मायावी कुआँ है, यह कभी सूखता नहीं | अगर आप दस हजार रूपए दोगे तो ये कुआँ आपका हो जायेगा | मालिक बहुत खुश हुआ और दस हजार लाकर मदन को दे दिया, मदन वहां से चला गया | 

मालिक ने सोचा अब से पानी की समस्या दूर हुआ अब से बारिश के भरोसे रहने की कोई जरूरत नहीं.. | अगले दिन सुबह मालिक कुआँ के पास आया, वह पानी निकलने वाला ही था की मदन वहां आया और बोला रुको रुको ..  ये क्या कर रहे हो..!! |” 

मालिक – “ ये क्या मदन, कल ही तो तुमने मुझे ये कुआँ बेचा था इसलिए खेती के लिए पानी निकल रहा हूँ |”  

मदन बोला की तुमने सिर्फ कुआँ ख़रीदा है उसमे पानी नहीं , वो पानी मेरा है अगर तुम्हे पानी चाहिए तो और पैसे चाहिए मुझे |  

मालिक – “ ये अन्याय है, बूढा हु ऐसे ठगना गलत है |” 

मदन – “ जवान संभालकर काका, मैंने किसीको नहीं ठगा है अगर पानी चाहिए, तो और पैसे देने होगे |” 

मालिक समझ नहीं पाया की उसे क्या करना है और दुखी होकर वहां से चला गया | एक पेड़ के नीचे उसे बैठा देखकर गाँव का एक चौधरी उसके पास आया | चौधरी ने मालिक से पूछा क्या हुआ, इतने दुखी क्यों हो | मालिक ने चौधरी को सब कुछ बता दिया, फिर दोनों मिलकर कुँए के पास पहुंचे | 

मदन – “ क्यों काका, जाकर गाँव के पंच से शिकायत करके आये हो ; कोई भी आये, कुछ नही कर सकते | कुआँ तुम्हारा है पर उसमे जो पानी है वो मेरा है |” 

इस पर चौधरी ने बोला की ये बात सोलह आने सच है कि पानी तुम्हारा है लेकिन तुम अपना पानी इसके कुँए में नहीं रख सकते, तुम तुरंत अपना सारा पानी यहाँ से ले जाओ वरना तुम्हे इसके कुँए में पानी रखने के लिए किराया देना पड़ेगा | बोलो, मंजूर है.. नहीं तो राजा के पास चलो जिसको जो दंड देना चाहेंगे, दे देंगे.. | मदन – “ हीहीही.. , इतनी सी बात के लिए रजा के पास क्यों.. ये कुआँ और पानी सब मालिक का है | अब में चलता हूँ, फिर कभी नहीं आऊंगा |” इतना कहकर मदन वहां से चला गया |

 

तो बच्चो जो दुसरे को ठगने की कोशिश करता है, अंत में उसका ही नुक्सान होता है |


कर भला हो भला

एक समय की बात है, एक चींटी एक पेड़ से नीचे तालाब में गिर गयी | एक कबूतर ने उसे अपनी जान बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश करते हुए देखा | कबूतर ने एक पत्ता तोड़कर उस चींटी के पास डाल दिया, चींटी तुरंत उस पत्ते पर चढ़ गयी | चींटी ने कबूतर को कृतज्ञतापूर्ण आँखों से देखकर धन्यवाद दिया | 

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक बहेलिया आया ; बहेलिये का तो काम ही होता है पक्षियों को पकड़ना | उसने जमीन पर दाने फेंक दिए और उस पर जाल फेंक दिया फिर चुपचाप किसी पक्षी के फसने का इन्तजार करने लगा | 

उसी रास्ते  से चींटी गुजर रही थी, तो क्या देखती है.. कि  वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी, वह उड़कर धीरे – धीरे नीचे उतर रहा था | चींटी ने तुरंत आगे बढ़कर बहेलिये को इतनी बुरी तरह काटा की उसके मुह से चीख निकल गयी |  शोर सुनकर जब कबूतर उधर गया तो उसने बहेलिये को देखा और सारा खेल समझ गया और दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गयी |

 तभी तो कहते हैं.. कर भला हो भला |


लालच 

रायपुर नाम के एक गाँव में रंजीत नाम का एक युवक रहता था | पढ़ा – लिखा होने के बावजूद नौकरी न मिलने के कारण व्यापार करने के उद्देश्य से कुछ पैसे लेकर शहर के लिया चला | 

रास्ते में उसे एक व्यक्ति मिला उसने रंजीत से कहा – “ साहब, मेरा नाम दिनेश हैं, कुछ लोगों ने मुझे ठगा और मुझे व्यापार में नुकसान पहुचाया, अगर कोई काम हो तो  मुझे दें |” 

रंजीत – “व्यापार करते थे, क्या व्यापार ?, में भी व्यापार करने निकला हूँ| “  

दिनेश ने बताया की वह ढाबा चलाता था और उसे रोटी और पराठे बनाना आता है | 

रंजीत बोला, चलो ढाबा खोलते हैं जो लाभ होगा उसका दस प्रतिशत तुम्हे दूंगा | दिनेश मान गया और वे दोनों चल पड़े | उन दोनों ने एक जगह ढाबा खोला | दिनेश रोटी सब्जी बनाता था उर रंजीत लोगो को परोसता था, इस तरह कई दिन बीत गये | 

एक दिन दिनेश ने सोचा की मई में इतनी मेहनत से काम करता हूँ और ये मुझे सिर्फ दस प्रतिशत ही दे रहा है, मेरी रोटियां नरम और स्वादिष्ट हैं इसीलिए तो लोग यहाँ आ रहे हैं | 

दिनेश ने रंजीत से कहा – “ इतने दिन हो गये अब भी सिर्फ दस प्रतिशत, केवल लगत आपका और आप नव्वे प्रतिशत लोगे | नुझे पचास प्रतिशत चाहिए वरना मै नहीं रहूँगा |”

 रंजीत – “देखो दिनेश, तुम बेकम थे मैंने तुम्हे काम दिया है ; लालच करना ठीक नही | तुम जितनी मेहनत कर रहे हो, उतनी मेहनत मै भी कर रहा हूँ | लागत के पैसे ऐसे ही नही आते, अगर तुमको पसंद नही है, तो तुम जा सकते हो; तुम्हारी धमकी से मै नही डरने वाला |”  

उसके बाद दिनेश ने पास में ही एक ढाबा खोला | नया ढाबा था , लोग वहां का स्वाद देखने जाने लगे लेकिन दिनेस मुश्किल में पड़ गया | वह लोगो को वक़्त पर रोटी नही दे पाता था, “ अरे रुको रुको .. रोटी ला रहा हूँ भाई थोड़ा सब्र करो, शांत हो जाओ .. शांत हो जाओ .. |”  “एक रोटी के लिए इतनी देर,  जल्दी लाओ |”  

“इतनी देर से बैठा हूँ, रोटी है पर सब्जी कहाँ है,  सब्जी लाओ जल्दी |” इस तरह लोग नाराज़ होकर फिर से रंजीत के ढाबे पर जाने लगे, यह देखकर दिनेश बहुत दुखी हुआ | रंजीत को भी लोगो को परोसने में दिक्कत हो रहा था , “ शांत हो जाये.. शांत हो जाएँ.. सबको रोटी परोस रहा हूँ, सब्र करें, सब्र करे…. अभी देता हूँ |” 

एक दिन रंजीत दिनेश से बोला की अकेले ढाबा चलाना मुश्किल हो रहा है, तुमने जो पचास प्रतिशत माँगा मै वो देने के लिए तैयार हूँ, वापस आ जाओ | 

दिनेश – “ साहब, मैंने गलती की है, मई समझा की रोटी बनाना ही काफी है लेकिन उसे परोसना भी एक कला है अब समझा, मुझे आपकी मेहनत दिखाई दी, मै अपने लालच के लिए शर्मिंदा हूँ, मुझे पचास प्रतिशत नहीं चाहिए आप जो ठीक समझे, वो दें |” इस तरह वो दोनों मिलकर काम करने लगे |

तो बच्चों लालच ठीक नही है, इससे हमेशा नुकसान ही होता है | 


ईमानदारी

अलकनन्दा गाँव में जग्गू नाम का एक गरीब किसान रहता था, वह बहुत ईमानदार था | बेटी ललिता की शादी के लिए उम्र हो गयी थी लेकिन उसकी शादी के लिए बहुत पैसे चाहिए थे इसीलिए वो कैसे कमाए यही चिंता थी | 

एक दिन जब वह खेत जोत रहा था उसका हल किसी चीज से टकराया, बहुत कोशिश करने पर भी वो आगे नही जा रहा था | ध्यान से देखने पर वहां एक बड़ा पत्थर दिखाई दिया, उसे जोर से हथौड़े से मारने पर वह टूट गया और उसमे से एक पारी बाहर निकली | परी ने जग्गू से कहा की आज तुमने मुझे श्राप से मुक्त किया, मै तुम्हारी मुसीबतें जानती हूँ; यदि तुम मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हो तो खेत के दक्षिण की ओर कोने में दस फुट खोदो, ऐसा करोगे तुम्हारी सारी मुसीबतें दूर हो जायेगी | यह कहते हुए गायब हो गयी |

 इसके बाद जग्गू ने खेत खोदना शुरू किया, यूँ खोदते – खोदते जग्गू के हाथ एक सोने का घड़ा लगा | उसे खोलकर देखा तो उसमे हीरे, जवाहरात और बहुत सरे अनमोल रतन दिखाई दिए, उसे देखकर जग्गू हैरान हो गया | 

जग्गू – “ अच्छा, परी ने इसी खजाने के बारे में बताया था, इससे मैं अपनी बेटी की शादी बड़ी धूम – धाम से कर सकता हूँ पर पता नही ये खजाना किसका है, इसपर किसका है | महराज के पास के जाकर वो क्या कहे हैं देखता हूँ | “ 

इस तरह से वो खजाने के साथ दरबार जा पंहुचा, महराज को अपने बारे में और इस खजाने के बारे में सब कुछ बताया |   

महराज – “ जग्गू, तुम वाकई एक ईमानदार व्यक्ति हो, तुम जैसे लोग अभी भी संसार में हैं इसीलिए न्याय और सच्चाई कायम है | यदि यही किसी और के हाथ लगा होता तो छिपाकर रखता, मै तुम्हारी इमानदारी से प्रसन्न हूँ | खजाना कही पर भी मिले वह राज्य की संपत्ति होता है, इसीलिए यह राज्य संपत्ति है लेकिन तुम्हारी ईमानदारी भी सराहनीय है इसीलिए ये खजाना तुम ही रखो और अपनी बेटी की शादी धूम – धाम से कर ख़ुशी से जीवन व्यतीत करो | 

जग्गू ने राजा को प्रणाम किया और वहां से चला गया और उसके बाद अपनी बेटी की शादी भी बड़ी धूम – धाम से की |     

इसीलिए बच्चों हमको हमेशा ईमानदार रहना चाहिए, हमारी ईमानदारी ही हमारी रक्षा करेगी हमेशा | 


चिंटू-चिंटी

एक बंदरिया के पास दो बच्चे थे | उसका बड़ा बेटा चिंटू सूरत से उतना अच्छा नही दिखता था  जितनी की उसकी छोटी बहन चिंटी अच्छी दिखती थी | उसका बड़ा बेटा हमेशा यही सोचता था की संभव है कि उसकी माँ, उसकी छोटी बहन को अधिक चाहती है, क्योंकि वह देखने में कुरूप दिखता था, पर ऐसा नही था | 

बंदरिया माँ तो दोनों को बहुत प्यार करती थी | एक दिन अचानक बहुत भयंकर तूफ़ान आया | हवा – आँधी बहुत जोर – जोर से चल रही थी | चारो ओर पेड़ और शाखाएँ जोर की आवाज के साथ गिर रही थी | 

बंदरिया माँ बहुत भयभीत और चिंतित हो गयी कि यदि वे उस स्थान से शीघ्र नही भागे, तो उसे और उसके दोनों बच्चों के चोट लग सकती है | 

अतः, बंदरिया माँ ने अपने छोटे बच्चे को उठाकर सीने से लगाया और वहां से इतनी तेजी से दौड़ी जितनी तेज वहां दौड़ सकती थी | बंदरिया माँ का बड़ा बेटा चिंटू भी बहुत डर गया था | वह जल्दी से कूदकर अपनी माँ की पीठ पर चिपककर बैठ गया | 

अब उसकी माँ एक पेड़ से दुसरे पेड़ पर कूदती हुई दौड़ रही थी | तभी अचानक एक पेड़ की डाल टूट गयी और वे तीनो नीचे गिर गये | बड़ा बीटा चिंटू जो उसकी पीठ पर था उसको तो बिलकुल चोट नही आई परन्तु छोटा बच्चा जो अपनी माँ की गोद में था उसको नीचे गिरकर बहुत चोट लग गयी और उसकी चोट से खून भी निकल रहा था | 

इस कारण बंदरिया माँ अपने छोटे बच्चे के लिए बहुत चिंतित हो गयी थी | दूसरी ओर अपने बड़े बच्चे को सुरक्षित देख कर प्रसन्न भी थी | उसका बड़ा बीटा चितु दौड़कर गया और कुछ बेरी और पत्ते ले आया ताकि उसकी माँ उसकी छोटी बहन के घाव पर उसे लगा सके | 

बंदरिया माँ अपने बड़े बेटे को ऐसा करता देखकर बहुत प्रसन्न हुई और उसको अपने बेटे पर बहुत गर्व हुआ | माँ ने अपने बेटे को धन्यवाद देते हुए बहुत बार उसको प्यार किया और बार बार चूमा | 

वास्तव में बंदरिया माँ अपने दोनों बच्चो से बहुत प्यार करती थी | अब उसके बड़े बेटे चिंटू ने भी यह सीखा कि उसकी माँ उसकी छोटी बहन के लिए इसलिए चिंतित थी क्योंकि वह बहुत छोटी है है और अपने लिए कुछ कर भी नहीं सकती | 

अतः, वह बहुत ज्यादा खुश था की उसकी माँ उसको भी उतना ही प्यार करती है जितना की उसकी छोटी बहन को करती है |


एकता

एक जंगल में घास के मैदान के पास चार गाय रहती थी , वे सब बहुत अच्छे दोस्त थे, हमेशा साथ रहते थे और साथ में ही चरते थे जिसके कारण कोई शेर या बाघ उनका शिकार नही कर पाता था | 

एक दिन उनमे आपस में झगड़ा हो गया और वे अलग – अलग चरने के लिए गयी |

 ये देख शेर और बाघ ने सोच की ये सही मौका है और उन्होंने उन सबको आश्चर्यचकित करके एक एक करके सबको मार डाला |

 

 एकता में शक्ति होती है |  

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