ब्राह्मण पति पत्नी की कहानी (Panchtantra Ki Kahaniyan Hindi Mein)

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एक बार एक नगर में ब्राह्मण  पति पत्नी रहते थे। ब्राह्मण अपनी पत्नी से बहुत अधिक प्रेम करता था।  ब्राह्मणी भी अपने पति के परिवार से लड़ने झगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी। एक दिन तंग होकर ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को लेकर अपना परिवार छोड़ दूसरे राज्य जाने की सलाह बनाई। वह दूसरे राज्य जाने के लिए निकल पड़े। रस्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगती है और वह कहती है – “प्रिय मुझे प्यास सता रही है कृपया पानी का इंतजाम कर दो।”  ब्राह्मण अपनी पत्नी को एक पेड़ के निचे बिठा कर पानी की तलाश में चला जाता है। 

वह पानी ढूंढ कर ले आता है लेकिन जब अपनी पत्नी को देखता है तो बहुत आश्चर्य चकित हो जाता है क्योंकि वह मर जाती है। ब्राह्मण उससे बहुत प्यार करता था इसलिए जोर-जोर से रोने लगा। तभी आसमान  से एक भविष्यवाणी होती है “ब्राह्मण अगर तू अपने प्राणो का आधा भाग अपनी पत्नी को दे देगा तो वह जीवित हो जायेगा ब्राह्मण ने कहा -“ठीक है अपने प्राणो का आधा भाग मैं अपनी पत्नी को दे दूंगा।” यह कहते ही उसकी पत्नी जीवित हो उठती है और वो खुसी-खुसी आगे बढ़ जाते हैं। आगे चलकर वह एक बगीचे में पहुँचते है -“और ब्राह्मण कहता है -“प्रिय मैं तुम्हारे लिए भोजन का इंतजाम करने के लिए जा रहा हूँ इसलिए तुम यहीं रुको।” यह कहकर ब्राह्मण खाना लाने के लिए चला जाता है। 

तभी ब्राह्मणी को एक लंगड़ा मगर बहुत ही सूंदर व्यक्ति नजर आता है। ब्राह्मणी पहली ही नजर में उसे पसंद करने लग जाती है और उससे कहती है – “प्रिय मैं तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूँ।” इसपर वह लंगड़ा व्यक्ति कहता है -“हे ब्राह्मणी तुम मेरे साथ रहकर क्या करोगी मैं तो ठीक से चल भी नहीं पाता इसलिए तुम अपना विचार बदल लो।” बहुत समझाने पर भी वह ब्राह्मणी उसी लंगड़े के साथ जीवन बिताने का फैसला  करती है। 

इतने में ब्राह्मण खाना लेकर आ जाता है और अपनी पत्नी के साथ बैठकर खाने लगता है। उसी समय ब्राह्मणी कहती है -“पतिदेव इस पंगु को देखो जब आप घर से बाजार करेंगे  तब मेरा मन नहीं लगा करेगा इसलिए आप इसे अपने साथ ले चलिए।

ब्राह्मण कहता हैं – ” हे प्रिय! मेरी तो अपने को पालने की औकात नहीं है फिर मैं इसे कैसे पालूंगा।” लेकिन ब्राह्मणी के  बहुत मनाने पर ब्राह्मण उसे अपने साथ ले जाने को तैयार हो जाता है। जब ब्राह्मण कुए पर बैठा होता है तो वह ब्राह्मणी उसे मुक्का मारकर अंदर गिरा देती है और लंगड़े व्यक्ति के चल न पाने से वह उसे पेटी में डालकर सिर पर रखकर राज्य की तरफ चल देती है। 

आगे राज्य में चोरों के बचाव से राजा ने पहरा लगाया होता है। पहरेदार उसे देख उस राज्य का न जान राजा के पास पेश करते हैं। राजा उसकी पेटी खुलवाकर देखता है तो उसमे से लंगड़ा व्यक्ति निकलता है। राजा पूछता है -“यह क्या है ?”

ब्राह्मणी बोलती है- “यह मेरे पति हैं यह चल नहीं सकते इसलिए  इन्हे पेटी में डालकर यहाँ लाई हूँ।” यह सुनकर राजा उसे जाने देता है। लेकिन ब्राह्मण को कोई भला व्यक्ति कुए से निकाल  देता है और उसकी जान बच जाती है।

 ब्राह्मण राजा के पास जाकर कहता है -“महाराज ये झूठ बोल रही है ये मेरी पत्नी है।” ब्राह्मणी कहती है -“महाराज मैं इसे अपना पति नहीं मानती।” यह सुनकर ब्राह्मण राजा से कहता है-“महाराज इसके पास  मेरी एक चीज है जिसके सभी देवता शाक्षी हैं, उसे इससे दिला दीजिये  मैं यहाँ से चला जाऊंगा।” ब्राह्मणी ने डर के मारे कहा – “हाँ मैं तुम्हारी वह चीज दे दूंगी बस इतना कहते ही ब्राह्मणी मर जाती है।” राजा आश्चर्यचकित होकर कहता है -“यह क्या?” इसके बाद ब्राह्मण ने राजा को सारी  बात बताई।

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