शेर और गधे की कहानी (Panchtantra Ki Kahani In Hindi By Vishnu Sharma)

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एक जंगल में करालकेसर नाम का एक शेर  रहता था। उसके साथ हमेशा उसका सेवक धूसरक नाम का सियार भी रहा करता था। एक बार शेर की लड़ाई एक हाथी से हो गयी जिसमे वह इतना जख्मी हो गया कि उससे चला भी नहीं जा रहा था। शेर और सियार का भूख के मारे बुरा हाल था। 

शेर ने अपनी जान की परवाह करते हुए सियार से कहा -“सुन सेवक तू किसी ऐसे जिव को मेरे पास लेकर आ जिसे मैं आसनी से मार सकूँ और मुझे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े। ”  शेर का आदेश सुनकर सियार किसी ऐसे जानवर को ढूंढने के लिए जंगल से होता हुआ एक गांव में पहुंचा। गांव में पहुंचकर उसे एक गधा दिखाई दिया। जो बहुत उदास सा नजर आ रहा था। सियार ने उससे जाकर पूछा – “अरे भाई तुम बड़े दिन बाद दिखाई दिए हो ।”

इसपर गधा कहता है -“अरे भाई एक धोबी मेरे ऊपर बोझा ढोता  है और खाने के लिए कुछ भी नहीं देता।” इसपर सियार कहता है-“भाई तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी बिरादरी की तीन दूसरी कन्याएँ को जंगल में हरी-हरी पन्ना जैसी घास के मैदान में ले गया। जहाँ वह बोझा ढोने से बच गई और आज अपना जीवन  आराम से जी रहीं है। उनमे से एक विवाह योग्य हो गई है मैं उसका विवाह तुम्हारे साथ करवा दूंगा जिससे तुम बिना बोझा ढोये अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सकते हो।”

यह सुनकर गधा सियार के साथ जाने को तैयार हो गया। दोनों जंगल में बातें करते हुए चलते हैं तभी वह शेर के पास पहुँच जाते है। जख्मी शेर गधे को देख उसपर झपटा मारने की कोशिश करता है पर भाग्यवश गधा बच निकलता है और गधे को भागते वक्त शेर का पंजा लग जाता है। 

सियार शेर को कहता है -“तुम कैसे शेर हो जो खुद चलकर आए हुए जानकर को भी अपना शिकार नहीं बना पाए।” यह सुनकर शेर शर्मीली से मुस्कान के साथ कहता है -“अरे मैं तैयार नहीं था इसलिए वह बचकर चला गया।” सियार कहता है- “अच्छा ठीक है मैं एक बार ओर प्रयास करके उसे तुम्हारे पास लाता हूँ।” शेर ने कहा -” वह तुम्हारे साथ नहीं आएगा क्योंकि वह डर गया है।”

इसपर सियार कहता है -“तुम उसकी चिंता मत करो।” यह कहकर सियार फिर से गधे के पास चला जाता है और उसे गधा वहीँ पर घास चरता हुआ दिखाई देता है। गधा सियार को देखकर कहता है -“अरे भाई तुम मुझे अच्छी जगह ले गए।  अगर मैं वहां से नहीं भागता तो जीवन समाप्त हो जाता। पता नहीं वो कौन सा जीव था जिसका इतना भारी पंजा मेरी पीठ पर पड़ा। “

सियार जवाब देता है – “अरे भाई वह वही कन्या थी जो उत्साह से तुम्हे मिलने के लिए उठी और तुम्हे भागता देख अपने पंजे से रोकने के कोशिश की। वह कन्या बहुत दुखी है क्योंकि तुम वहां से भाग आये हो इसलिए तुम मेरे साथ चलो। अगर तुम मेरे  साथ नहीं गए तो वह अपने प्राण त्याग देगी इसलिए तुम  मेरे साथ चलो।”

सियार की बात सुनकर वह गधा उसके साथ दोबारा जंगल की और चल दिया और गधे को इस बार शेर ने नहीं छोड़ा वह मारा गया।  शेर गधे को मार कर स्नान करने के लिए चला गया। पीछे से सियार ने गधे का दिल और कान खा डाला। शेर वापिस आकर देखता है कि गधे के शरीर में कान और दिल नहीं है। यह देख शेर कहता है- “दुष्ट तूने मेरे भोजन को जूठा कर दिया।”

 इसपर सियार कहता है – “स्वामी नहीं मैंने आपका भोजन जूठा नहीं किया। बल्कि इसमें कान और दिल नहीं था तभी तो यह जाकर दोबारा वापिस आ गया। 

यह सुनकर शेर को सियार बात पर यकीं हो गया और दोनों ने भोजन का आनद लिया। 

शिक्षा 

यह जानते हुए भी कि काम का बुरा परिणाम होगा, कोई उसे करता है तो वह मनुष्य गधा ही होता है।  

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