स्त्री, ठग और सियारन की कहानी (Panchtantra Ki Kahani In Hindi)

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एक गांव में किसान पति पत्नी रहा करते थे। किसान बहुत वृद्ध हो गया था पर उसकी पत्नी अभी जवान थी। पति के वृद्ध होने के कारन उसकी पत्नी का चरित्र दूषित हो गया। पूरा गांव उसके खराब चरित्र के बारे में जानता था। लेकिन उनके पास धन की कमी नहीं थी। यह जान एक ठग ने उस स्त्री से आकर कहा -“प्रिय तुम्हारा पति बहुत वृद्ध हो गया है इसलिए तुम मेरे साथ विवाह करके दूसरे राज्य में आराम से रहना और अपने साथ धन भी ले आना।”

ठग के मन में उसका धन लुटने की इच्छा थी। स्त्री ने उसकी बात मान ली। अगले ही दिन वह अपना धन लेकर उसके बताये स्थान पर पहुंची और उसके साथ दूसरे राज्य की और रुख करने लगी। रास्ते में जाते समय एक बहुत लम्बी चौड़ी नदी आयी। नदी देख ठग ने सोचा कि मेरे पास यह अच्छा मौका है। यह सोचकर वह स्त्री से कहने लगा- “प्रिय! तुम धन की पोटली मुझे दे दो मैं पहले यह पोटली नदी पार रखकर आता हूँ बाद में तुम्हे लेता चलूँगा इसलिए तुम यहीं मेरा इंतजार करो। ठग नदी पार करके सारा धन अपने साथ ले गया। वह इस्त्री उसका इंतजार करने लगी। लेकिन जब बहुत देर हो गई तब उस स्त्री को विश्वाश हो गया कि वह ठग मेरा धन लेकर चला गया और मैं ठगी गयी। 

तभी वह स्त्री एक सियारन को आते देखती है जिसके मुंह में मांस का टुकड़ा होता है। सियारन को नदी किनारे एक मछली दिखती है। सियारन उत्सुकता वश उस मछली को पकड़ने के चक्कर में मांस का टुकड़ा मुँह से गिरा देती है और मछली पकड़ने के लिए उस ओर भागती है। मछली सियारन को देख गहरे पानी में चली जाती है। इतने में एक गिद्ध आकर वह मांस का टुकड़ा उठा कर ले जाता है। सियारन दोनों ओर से खाली रह जाती है। 

वह स्त्री उसे देख हंसकर कहती है मेरी हालत तो इस सियारन जैसी हो गई है मैं न इधर की रही न उधर की। 

शिक्षा 

अपनों को छोड़ जो स्त्रियां दूसरों के पास जाती हैं वह परायों से भी ठगी जाती हैं।  

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