Akbar Birbal |
बादशाह अकबर और बीरबल महल के बाग में टहल रहे थे। शहंशाह मूड में थे। उन्होंने बीरबल से सवाल कर दिया, “बीरबल, क्या तुम्हें मालूम है कि तुम्हारी पत्नी की कलाइयों में कितनी चूड़ियां हैं?तुम तो दिन में कई बार पत्नी का हाथ पकड़ते होंगे।”
बीरबल दुविधा में पड़ गए। उन्होंने तो कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया था। बीरबल कुछ देर तक चुप रहे, फिर बोले, “हुजूर, मेरा हाथ तो पत्नी के हाथ को कभी कभार ही पकड़ता है। लेकिन हुजूर, क्या आप बता सकते हैं कि आपकी दाढ़ी में कितने बाल हैं?”
बादशाह बीरबल की बात को नजरअंदाज कर गए और बोले, “बीरबल दाढ़ी के बाल की गिनती कर पाना नामुमकिन है किंतु हाथ की चूड़ियों को तो सरलता से गिना जा सकता है।” बीरबल बोले, “हुजूर, औरतों का क्या, वे तो अपनी कलाइयों में कम-ज्यादा चूड़ियां पहनती रहती हैं।
औरत के हाथों में कितनी चूड़ियां हैं बिना गिने बता पाना मुश्किल है। आप तो महल में प्रतिदिन ही जाते हैं। ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए आप सीढ़ियां तो चढ़ते ही होंगे। हुजूर, आप बता सकते हैं कि कितनी सीढ़ियां हैं?” शहंशाह बोले, “मैंने कभी सीढ़ियों की संख्या की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।”
बीरबल हंसते हुए बोले, “जहांपनाह, सीढ़ियों को तो घटाया-बढ़ाया भी नहीं जा सकता। वे वर्षों से एक ही संख्या में हैं, फिर भी वे कितनी हैं आपको मालूम नहीं तो भला मैं हर माह घटने-बढ़ने वाली चूड़ियों की संख्या कैसे बता सकता हूं? फिर भी मैं दोषी हूं तो बंदे की गर्दन हाजिर है, हुजूर।”
बीरबल की इस बुद्धिमत्ता के आगे बादशाह अकबर निरूत्तर रह गए।