एक जंगल में चडरव नाम का एक सियार रहता था एक दिन उसे खाने के लिए भोजन नहीं मिल रहा था तो वह भटकते हुए एक गांव में घुस गया। घुसते ही उसके पीछे कुत्ते पड़ गए।
कुत्तों ने उसे दांत और पंजों से जख्मी कर डाला पर वह साहस करता हुआ भागता रहा और एक कपडे रंगने वाले व्यक्ति के घर में जा घुसा वहां उसने कपडे रंगने के लिए एक बड़े बर्तन में नील घोल कर रख रखा था।
सियार उसमे जा गिरा और नीले रंग का हो गया। कुत्ते भी उसे पहचान नहीं पा रहे थे जिस कारण वो अपनी अपनी दिशा में चले गए। सियार ने मौका देखकर जंगल की और भागना शुरू कर दिया। जंगल के सभी जीव उसे अलग ही तरह का जीव समझ रहे थे।
तभी एक शेर और उसके साथियों की नजर उस पर पड़ी सियार जानता था कि कोई भी जीव मुझे इस रूप में देख कर हानि नहीं पहुंचाएगा क्योंकि सभी मुझसे डर रहें हैं। वैसा ही हुआ शेरों की भी सियार को खाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
जंगल के सभी प्राणी उसका नीला रूप देख कर डर रहे थे। तभी सियार कहता है-
“डरो मत मुझे ब्रम्हा जी ने बनाकर तुम्हारे उद्धार के लिए तुम्हारे पास भेजा है। मैं तुम सबको अपनी शरण में ले लूंगा।”
इस तरह अभी प्राणियों ने सोचा कि यह जीव सच कह रहा है क्योंकि हमने आजतक ऐसा जीव इस जंगल में नहीं देखा।
सभी उसे अपना राजा मान लेते हैं और सियार उनको अपने सभी महत्वपूर्ण पद देता है जैसे शेर को मंत्री, बाघ को सेजपाल और भेड़िये को दरबान आदि।
पर उस सियार ने अपने सभी परम मित्रो जो सियार ही थे उनको जंगल से निकाल दिया। सियार राजा बनकर बहुत खुश था वह दूसरे सियारों से बात भी नहीं करता था।
चड़रव सियार को राजा बने हुए कुछ समय बीत गया लेकिन एक दिन उसे जंगल में कुछ दूसरे सियारों की आवाजें सुनाई दी।
वह अपने आप को रोक न सका और जोर से आवाज निकलने लगा सभी प्राणी समझ गए कि यह दुष्ट सियार नीला रंग अपने शरीर पर रंग कर हमें धोखा दे रहा है तभी क्रोधित होकर शेरों ने उसे मार डाला।
शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जो भी धनवान, बड़ा पद मिलने पर या राजा आदि बनने पर अपने साथियों को भूल जाता है और अजनबियों को अपनाता है वह मुर्ख चडरव नाम के सियार की तरह मृत्यु पाता है।