एक गांव में एक चित्रांग नाम का कुत्ता रहा करता था। जहाँ वह रहता था उस देश में उस समय अकाल पड़ गया जिस कारन बहुत से कुत्ते मरने लगे। चित्रांग भी बहुत कमजोर हो गया था।इसलिए उसने वह देश छोड़ दूसरे देश में जाने की सलाह बनाई। वहां जाकर उसने एक लापरवाह व्यक्ति के घर में जाकर चोरी की और अपना पेट भरकर बहार निकला। परन्तु बाहर आते समय उसे कुत्ते दांत और पंजे मारकर जख्मी कर दिया।
हर रोज ऐसा ही होता। एक दिन कुत्ते ने सोचा कि ऐसे भोजन से अच्छा अपने देश का अकाल है। क्योंकि वहां कम भोजन के मिलने पर भी शांति मिलती है। लेकिन पराये देश जाकर अपनी जाति वाले ही विरोध करने लग जाते हैं। ऐसा सोच वह अपने देश वापिस लोट जाता है। अपने देश पहुँचने पर चित्रांग के साथी और रिश्तेदार उससे पूछते हैं – “चित्रांग तू बता कि वह देश कैसा है ? वहां के लोग कैसे हैं ? और वहां के घर कैसे हैं ?”
यह सुनकर चित्रांग ने उत्तर दिया – “मित्रो वहां खाने के लिए बहुत कुछ है, वह के घर बहुत सूंदर हैं और वहां के लोग बहुत सम्पन और धनवान है। किन्तु दूसरे देश में एक ही दोष है कि अपनी जाति के कुत्ते बड़े खूंखार और विद्रोही हैं।
शिक्षा
विदेश में या शहर में अच्छे अच्छे खाते हैं, नगर की महिलाओं का व्यवहार भी अच्छा है, परन्तु वहां एक ही दोष है कि अपनी जाति वाले विरुद्ध हो जाते हैं।