एक बार एक कौआ किसी पेड़ के ऊपर रहता था और उसी पेड़ के खोखले में एक तीतर भी रहा करता था। वह कौए का बहुत पक्का मित्र बन चूका था। दोनों सारा दिन अपना भोजन करने के बाद श्याम को उसी पेड़ में आकर बातें करते अपने दिन का हाल सुनाते कथाएं बतातें।
एक दिन तीतर अपने दूसरे मित्रों के साथ पके हुए धान के देश में चला गया और उसे वहां कई दिन बीत गए कौआ उसका हर रोज बड़ी बेसबरी से इंतजार करता। बहुत दिन बिताने के बाद भी तीतर नहीं आया यह देख कौआ बहुत दुखी हुआ। कौए ने उसकी वापसी की उम्मीद यह समझ कर छोड़ दी कि शायद उसे किसी ने जाल में फंसा लिया होगा या किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गयी होगी।
कुछ ही दिनों बाद उस पेड़ के खोखले में एक खरगोश रहने के लिए आ गया कौए ने उसे उसमे रहने से नहीं रोका। एक दिन अचानक वहां वह तीतर आ गया और खरगोश को वहां रहते देख उनमे झगड़ा हो गया।
तीतर कहने लगता है -“अरे! खरगोश तूने मेरे घर में कब्जा क्यों किया है अब तू यहाँ से चला जा।”
खरगोश जवाब देता है – “क्या तुम जानते नहीं की नदी, नाले, कूप, पहाड़ आदि के घरों का यह नियम है कि जो भी इन पर कब्जा करता है ये उसी के हो जाते हैं।
दोनों का झगड़ा बढ़ता ही चला गया और दोनों ने किसी ज्ञानी पुरुष के पास अपना न्याय करवाने के लिए चले गए। रस्ते में झगड़ते हुए जाते समय उनको एक बिल्ली ने देख लिया। यह देख बिल्ली हाथ में माला लिए, आंखे बंद किये जोर जोर से प्रवचन करने लगी।
दोनों ने यह देखा और कहने लगे – “ये बिल्ली बहुत ही ज्ञानी लगाती है पर हमारे लिए दुश्मन भी है इसलिए हम दूर से ही उससे पूछते है।
दोनों बिल्ली पूछते है- “स्वामी क्या आप हमें न्याय दे सकते हैं।”
बिल्ली कहती है -“बालको चिंता मत करो और मेरे पास आओ जिससे मैं तुम्हे विस्तारपूर्वक ज्ञान दे सकूँ। जिससे तुम न्याय पा सको।
दोनों ने सोचा कि यह बिल्ली बहुत ही ज्ञानी है इसलिए यह हमें नहीं खायेगी। हमें इसके पास जाना चाहिए। यह विश्वाश करके दोनों बिल्ली के पास चले जाते हैं और मौका देख बिल्ली उनको झपट लेती है और दोनों को खा जाती है।
शिक्षा
नीच और लालची को अपना स्वामी बनाने वाले नष्ट हो जाते हैं