भाई दूज की दो प्रसिद्ध कहानियाँ (2023) | bhai dooj ki kahani

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एक नजर मे भाई दूज

भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।

उपर दी गयी जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है।

भाई दूज की पहली कहानी

एक गांव में एक बहुत ही बुजुर्ग महिला रहती थी। उसका एक बेटा था और उसकी एक बेटी भी थी। बुजुर्ग महिला ने अपनी बेटी की शादी कर दी थी। एक दिन जब भाई दूज का त्यौहार आया तभी उस बुजुर्ग महिला के बेटे ने कहा कि,” मां, मैं अपनी बहन के घर टीका करवाने के लिए जा रहा हूं।”

जिसके बाद उसकी मां ने कहा,”बेटा हम लोग बहुत गरीब लोग हैं। तुम टीका करवाने के बाद अपनी बहन को क्या दोगे?। लेकिन उस बुजुर्ग महिला के बेटे ने जिद करके अपनी बहन के घर जाने के लिए अपनी मां को मना लिया।

फिर वह भाई अपनी मां की आज्ञा लेकर अपनी बहन के घर निकल पड़ा। जैसे ही वह थोड़ी दूर पहुंचा, तब उसको एक बहुत ही गहरी नदी मिली और वह उसे कहने लगी कि,” मैं तुम्हें अपने पानी में डुबोकर मार दूंगी क्योंकि मैं तुम्हारा काल हूं।”

जिसके बाद वह भाई उस नदी से कहता है कि,” तुम मुझे थोड़ी देर की मोहलत दे दो, मैं अपनी बहन के घर टीका करवाने जा रहा हूं, जब मैं वहां से वापस आऊंगा तब तुम मुझे मार देना”। जिसके बाद वह नदी भाई को आगे जाने के लिए रास्ता देती है और फिर वह भाई आगे की ओर चल देता है।

थोड़ी दूर पहुंचने के बाद उसको एक शेर मिलता है। जो कहता है,” मैं तुम्हें खा जाऊंगा, इसके बाद वह भाई शेर से कहता है कि,”अभी नहीं, मैं अभी अपनी बहन के पास टीका करवाने जा रहा हूं।, जब मैं लौट कर आऊंगा तब तुम मुझे खा लेना।”

फिर भी उस भाई को आगे जाने के लिए रास्ता है और फिर जब वह भाई आगे की ओर बढ़ने लगता है। तो कुछ दूर पहुंच कर उसको एक साप मिलता है और वह भी भाई से कहता है कि,” मैं तुम्हें मार दूंगा।”

वह भाई उस सांप भी वही कहता है कि मैं अभी अपनी बहन से टीका करवाने जा रहा हूं। जब मैं लौट के आऊंगा तब तुम मुझे मार देना। वह भाई आगे की ओर चला जाता है और थोड़ी ही देर में भाई अपनी बहन के घर पहुंच जाता है। जब वह अपनी बहन के घर पहुंचता है तो घर के बाहर से आवाज लगाता है लेकिन घर के अंदर उसकी बहन सूत काट रही होती है।

सूत को काटते वक्त उसका धागा टूट जाता है और वहां के लोगों की यह मान्यता थी कि अगर सूत काटते वक्त अगर धागा टूट जाएं तो बाहर कोई भी बुला रहा हो और वह बिना आवाज करें और बिना धागा को जोड़ें चली जाएं तो, वह व्यक्ति मर जाएगा।

वह बिना आवाज किए धागा जोड़ने लगती है लेकिन जब भाई के आवाज लगाने पर भी उसकी बहन नहीं आती है तो, वह वहां से जाने लगता है। तभी उसकी बहन उस धागे को जोड़कर तुरंत अपने भाई के पास जाकर उसको रोकती है और उसको अपने घर ले जाती है। वह बहन अपनी पड़ोस में रहने वाली महिला के पास जाती है और उससे पूछती है कि,”भाई दूज के दिन क्या बनाया जाता है?”

तब वह महिला उसको बताती है कि तुम तेल से अपने चूल्हे को लीपो और घी में चावल पकाओ। वह बहन घर जाकर पड़ोस के द्वारा बताई हुई चीजों को करने लगती है और तभी उसका भाई उससे कहता है कि,”बहन मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है”। लेकिन उसकी बहन पड़ोस की महिला की बातों में आकर काम कर रही होती है।

जब उसका भाई रसोई में जाकर देखता है तो, वह अपनी बहन से कहता है की तुम बहुत भोली हो, जिसके कारण तुमको लोग पागल बना देते हैं। तुमने कभी घी में चावल पकते हुए देखा है और तेल से कभी चूल्हे को लीपा जाता है। तुम गोबर से चूल्हे को लिपो और पानी में चावल को पकाओ।

वह बहन अपने भाई की बात मानकर वही करती है। जैसा उसका भाई करने के लिए बोलता है और वह खाना बनाकर अपने भाई को खिलाती है और थोड़ी देर बाद वह अपने भाई को टीका कर देती है। जब उसका भाई अगले दिन वापस अपने घर जाने के लिए कहता है, तब उसकी बहन अपने भाई के लिए रास्ते में ले जाने के लिए कुछ लड्डू बना कर देती है कि इसको रास्ते में भूख लगे तो खा लेना और उनमें से कुछ लड्डू अपने बच्चों के लिए भी बचा लेती है।

जैसे ही उसका भाई चला जाता है और उसकी बहन के बच्चे जब खाने के लिए जिद करने लगते हैं, तो वह अपने भाई के लिए बनाए हुए कुछ लड्डू जो अपने बच्चों के लिए बचा लिए थे, वह अपने बच्चों को दे देती है और तभी उनके बच्चों की नजर उस लड्डू में पड़ती है जो एकदम से नीले हो रहे होते हैं।

जब वह जाकर रसोई में देखते हैं तो, उनको पता लगता है कि उनकी मां ने जो लड्डू बनाए हैं, उनमें सांप मर चुका है और उसी से ही हमारी मां ने लड्डू बनाए हैं। जिसके बाद वह अपनी मां को जाकर सारी बातें बताते हैं, जिसको देखकर वह बहुत दुखी हो जाती है और तुरंत अपने भाई के पीछे भागती है। रास्ते में कुछ दूर चलने के बाद उसका भाई उसको मिल जाता है।

वह तभी उसकी बहन उससे पूछती है कि भाई तूने लड्डू तो नहीं खाए। उसका भाई कहता है नहीं और तभी अपने भाई को सारी बात बता देती है लेकिन तभी उसका भाई कहता है तुमने मेरी जान आज तो बचा ली है लेकिन तुम मेरी जान कब तक बचाओगी और अपनी बहन को अपने साथ हुए रास्ते में सभी चीजों के बारे में बता देता है।

उसकी बहन अपने भाई को अकेले नहीं जाने देती है और उसके साथ जाने के लिए कहती है। उसका भाई अपनी बहन को साथ आने के लिए मना कर देता है लेकिन उसकी बहन जिद करने के लिए कारण अपने भाई के साथ जाने लगती है। कुछ दूर चलने के बाद जब बहन को प्यास लगती है तो, वह अपने भाई से कहती है,” भाई मुझे पानी पीना है। बहुत जोरों से प्यास लगी है।

उसका भाई कहता है कि,”यही पास में एक तालाब रुको। मैं उस तालाब से तुम्हारे लिए जल ले आता हूं।” वह अपने भाई को तालाब के पास नहीं आने देती है और स्वयं ही अकेले तालाब के पास जाती है, जब वह तालाब के पास पहुंचती है, तब उसको ही बुजुर्ग महिला मिलती है।

वह बुजुर्ग महिला को तालाब के पास देख उसकी बहन उससे पूछती है आप कौन है? जब वह बुजुर्ग महिला बताती है कि,”मैं एक भाई का इंतजार कर रही हूं। उसकी बहन ने एक सांप को मारा है, जिसके लिए मैं उसका काल बन कर बैठी हूं।”

उसकी बहन उस बुजुर्ग महिला से अपने भाई की जान बचाने के लिए पूछती है और तभी वह बुजुर्ग महिला उसे कहती है कि,”तुम अपने भाई को खूब गालियां दो और जब तक उसकी शादी ना हो जाएं, तक तुम उसकी सारी घात टाल दो, तो तुम्हारे भाई की जान बच सकती है।

वह बहन तुरंत वापस जाकर अपने घर से एक मांस का टुकड़ा और एक चुन्नी और एक कटोरी में थोड़ा सा दूध लेकर अपने भाई के पास आती है और उससे कहती है, चलो जैसे ही वह दोनों रास्ते में थोड़ी दूर चलने के पश्चात उनको एक वही शेर मिलता है।

जिसने उसके भाई को मारने के लिए पहले भी रोका था। जैसे ही वह शेर उसके भाई को मारने के लिए आगे बढ़ता है, तब उसकी बहन शेर को एक मांस का टुकड़ा खाने के लिए दे देती है, जिससे शेर उस मांस के टुकड़े को खाने लगता है और वहां से दोनों लोग आगे चल देते हैं।

आगे पहुंचकर जब थोड़ी दूर पर वही साप मिलता है तो वह सांप को अपने साथ लाई हुई एक कटोरी में दूध को सांप के आगे रख देती है, जिससे साथ दूध पीने लगता है और वह लोग आगे की ओर चले जाते हैं। आगे जब नदी के पास पहुंचते हैं तब उसकी बहन नदी को एक चुन्नी देती है। जिससे नदी प्रसन्न होकर उनको आगे जाने का रास्ता दे देती है और थोड़ी देर पश्चात वह लोग अपने घर पहुंच जाते हैं।

घर पहुंच कर उनकी मां अपने दोनों बच्चों को देखकर बहुत खुश हो जाती है लेकिन उसकी बहन अपने भाई को गालियां देना शुरु कर देती है। यह देखकर मां बेटे दोनों बहुत आश्चर्यचकित हो जाते हैं और थोड़े दिन गुजरने के बाद जब अपने बेटे का विवाह करने लगती है।

विवाह के लिए जब निकासी की बारी आती है, तब उसकी बहन कहती है पहले मेरी निकासी करो और मेरे भाई को आगे के रास्ते से नहीं ,पीछे के रास्ते से लेकर जाओ। बहन के ऐसा बोलते ही आगे का दरवाजा टूट कर गिर जाता है।

जिसको देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं और फिर जब फेरो की बारी आती है, तब उसकी बहन कहती है कि, “पहले मेरे फेरे करो, मेरे भाई के बाद में और ऐसा बोलते ही वहां पर आग लग जाती है, जिससे वह आग को बुझा देती है और फिर जब सुहागरात की बारी आती है। तब उसकी बहन कहती है, “मैं भी इन लोगों के साथ में जाऊंगी।”

सभी लोग बीच में एक पर्दा डालकर उसकी बहन को भी अंदर जाने देते हैं। तभी रात में एक सांप आता है, जिसको उसकी बहन एक डब्बे में बंद कर देती है और अपने भाई की जान बचा लेती है और सुबह होते ही वह सभी को सच बता देती है कि, “वह ऐसा क्यों कर रही है?” जिसे सभी ने उसकी बहन की प्रशंसा करने लगते हैं और उसका भाई भी अपनी बहन से बहुत खुश हो जाता है और तब उसकी बहन वापस अपने घर चली जाती है।

भाई दूज की दूसरी कहानी

एक बहिन के सात भाई थे । वह उन्हें बहुत प्यारी थी । उसका पति अपने माँ बाप का इकलौता बेटा था जिसके होने पर की गई मनौतियों को पूरा न करने से देवता अप्रसन्न थे । क्रुद्ध होकर देवताओं ने पुत्र तथा पुत्रवधु को मार डालने का निर्णय किया । उस बहन को किसी तरह इसका पता चल गया । उसने भावी जीवन में आने वाली दुःखों की कल्पना करके उपचार के तरीके सोचकर अपने भाईयों से ससुराल जाने की जिद की । यद्यपि वे बिना बुलाए नहीं भेजना चाहते थे पर बहिन के न मानने पर पर डोली सजा कर भेज दी । उसने अपने पास दूध , माँस तथा ओढ़नी रख दी ।

थोड़ी दूर जाने पर देवताओं के प्रकोप से डोली का रास्ता सांप ने रोक लिया । बहिन तुरंत दूध सांप के सामने रखकर आगे बढ़ गई । थोड़ी दूर और आगे जाने पर उस पर शेर झपटा तो उसने मांस फेंक दिया । शेर मांस में रुचि लेने लगा और कहार डोली लेकर आगे बढ़ गए । रास्ते में यमुना जी थीं ज्योहिं कहार डोली को यमुना से पार करने लगे , यमुना ऊँची लहरें उठाकर डोली को आत्मसात करने लगीं । बहिन ने ओढ़नी समर्पित कर यमुना की लहरों को शांत कर दिया ।

नववधू को बिना बुलाए घर पधारी पाकर ससुराल वाले आश्चर्य में पड़ गए । बहिन ने आदेश दिया कि उसके गृह प्रवेश के लिए घर के पिछवाड़े फूलों का दरवाजा बनवाया जाए । दरवाजा बना । ज्योंही वह पार करने लगी , द्वार उस पर गिर पड़ा । फूलों का द्वार होने के कारण चोट न आ पाई ।

घर में प्रवेश करके उसने सबसे पहले स्वयं खाना खाने का हट किया।खाना खाने लगी तो खाने में सुच्चा काँटा मिला जिसको उसने डिबिया में सहेज लिया । शाम को घूमने का समय आया तो सबसे पहले उसने ही जूता पहना । जूते में काला बिच्छू था । उसने वह भी उसी डिबिया में सहेज कर रख लिया । रात हुई तो उसने फिर जिद्द की कि पहले मैं ही सोऊंगी । बहू का हर काम के लिए पहला करना यद्यपि किसी को अच्छा नहीं लग रहा था पर परिस्थिति वश सब हो रहा था । सोने के कमरे में उसे काला नाग मिला । उसने उसे भी मार कर सहेज लिया फिर पति को शय्या पर सुलाया । इतना सब करने के पश्चात उसने अपनी सास को डिबिया खोल कर सुच्चा काँटा , बिच्छू तथा साँप दिखा कर कहा , ” मैंने तुम्हें पुत्रवती किया है अर्थात् स्वयं कष्ट सह कर तुम्हारे पुत्र के जीवन की रक्षा करके अपने सुहाग को नया जीवन दिया है । ये सब कष्ट देवताओं के रुष्ट हो जाने के कारण उठाने पड़े हैं ।

भविष्य में कभी मनौती मान कर पूरा करना न भूलना । ” इतना कहकर सात भाईयों की परम प्यारी बहिन भाईयों के साथ पीहर लौट गई और सास ने देवी देवताओं का पूजन करके भाई – बहिनों के प्रेम की प्रशंसा तथा उनके सुखी होने का आशीष दिया।

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