चालाक लोमड़ी की कहानी (फोटो के साथ) | crow and fox story in hindi

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चालाक लोमड़ी की कहानी ( chalak lomdi ki kahani)

chalak lomdi ki kahani
चालाक लोमड़ी

एक समय की बात है एक जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी वह अपना जीवन बहुत ही सरलता से व्यतीत कर रही थी। वह मुसीबत पड़ने पर बहुत ही बुद्धि से काम लेती थी। एक दिन वह सुबह हर रोज की तरह खाने की तलाश में निकल पड़ी लेकिन बहुत जगह पर घूमने फिरने के बाद उसे कहीं भी खाना नहीं मिल रहा था उसने हिम्मत नहीं हारी और खाना ढूंढ़ती हुई जंगल में आगे बढ़ती चली गयी।

चालाक लोमड़ी

सुबह का खाना तो उसके नसीब में नहीं था और वह थक भी चुकी थी। अब उसने निर्णय लिया कि थोड़ी देर आराम करने के बाद वह खाना ढूंढेगी।

चालाक लोमड़ी

लोमड़ी ने आराम किया और दोपहर का खाना ढूढने के लिए भूखी प्यासी निकल पड़ी। वह जंगल में इधर उधर भटक रही थी। अभी भी खाना मिलने की उम्मीद बहुत ही कम थी ऊपर से बहुत गर्मी हो गयी थी। जिसके कारण खाना ढूढ़ना बहुत मुश्किल था। लेकिन लोमड़ी ने हार न मानी वह खाना ढूढ़ने के लिए आगे बढ़ती चली गयी। उसने खाना ढूढ़ने के लिए बहुत मेहनत की। लेकिन खाना मिल ही नहीं रहा था। आखिर उसकी खाना मिलने की उम्मीद खत्म हो गयी।

चालाक लोमड़ी

अब वह थक चुकी थी, थकान और भूक के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी। अब वह अपने लिए कुछ नहीं कर पा रही थी और छाया में पेड़ के सहारे बैठ गयी। अब वह निराश होकर भगवान की और देखने लगी कि उसको उसी पेड़ की डाल पर बैठा अपनी चोंच में रोटी लिए एक कौआ दिखा। उसको खाना मिलने की उम्मीद की किरण नजर आयी। उसके दिमाग में एक उपाय आया। उसने कौवे की प्रशंसा शुरू कर दी।

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अरे कौए भाई मैंने तुम्हारी प्रशंसा सुनी है। कहा जाता है कि तुम बहुत ही मधुर आवाज में गाते हो। तुम्हारी सुरीली आवाज पुरे जगंल में मशहूर है। मैं तुम्हे ढूढ़ते हुए यहाँ तक आयी हूँ क्या तुम मुझे सुरीली आवाज में गीत सुनाओगे।

कोए ने सोचा कि मुझे तो इस बात का कभी पता ही नहीं था कि मेरी आवाज इतनी सुरीली है कि पुरे जंगल के प्राणी मेरी प्रसंसा करते हैं। मैं अब गाकर देखता हूँ। बस अब क्या था कोए ने गाना शुरू किया और रोटी सीधी निचे गिर गयी। अब लोमड़ी ने झट से रोटी उठाई और अपनी चालक निति से भूख मिटाई। 

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शिक्षा

इस कहानी से हमें दो शिक्षाएं मिलती है कि लोमड़ी की तरह हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और कौए की तरह झूठी प्रशंसा सुनने पर अपनी सुद्ध-बुद्ध नहीं खोना चाहिए।

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