एक नजर मे कामिका एकादशी व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
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पहली कामिका एकादशी व्रत कथा
कामिका एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का महत्व और कथा बताई थी।
उन्होंने कहा किसी गांव में एक ठाकुर और एक ब्राह्मण रहते थे। दोनों ही एक-दूसरे से बिल्कुल नहीं बनती थी। एक दिन ठाकुर और ब्राह्मण का झगड़ा हो गया और गुस्से में आकर ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। ब्रह्म हत्या के पाप से दुखी होकर ठाकुर ने ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करने की कोशिश की। लेकिन दूसरे ब्राह्मणों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया। ब्रह्म हत्या का दोषी होने के कारण ब्राह्मणों ने उसके यहां भोजन करने से मना कर दिया। तब दुखी होकर ठाकुर पाप से मुक्त होने के लिए एक ऋषि के पास गया। उसने पूछा हे ऋषि मैंने एक ब्राह्मण की हत्या कर दी है। इस हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा।
तब ऋषि कहे, हे राजन तुम्हें एक ही व्रत इस पाप से मुक्त करा सकता है। वह कामिका एकादशी व्रत है। तब ऋषि की आज्ञा मानकर ठाकुर ने कामिका एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। ठाकुर के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान उसे दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे पापों का प्रायश्चित हो गया है। अब तुम ब्राह्मण की हत्या से मुक्त हो चुके हो।
दूसरी कामिका एकादशी व्रत कथा
एक बार की बात है एक गाँव में एक क्षत्रिय रहा करता था एक दिन कुछ कारणों के चलते उसकी लडाई एक ब्राह्मण से हो गयी थी और उस लडाई में ब्राह्मण की मृत्यु हो गई अपने हाथों से मारे गयेब्राह्मण की अन्तिम क्रिया करना चाहता था लेकिन ब्राह्मणो ने उसे अन्तिम क्रिया में शामिल नहीं होने दिया उन्होंने कहा की तुम पर एक ब्राह्मण की हत्या का दोष हैा पहले उसका प्राश्चित करके उस पाप से मुक्त होना होगा।
इस बार क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्ति पाने का उपाय क्या है। तब ब्राह्मणो ने बताया कि श्रावण के महिने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपने भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत और पूजा कर ब्राह्मणो को भोजन कराकर दक्षिणा के साथ मे आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितो के द्वारा बताये गऐ तरिको पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर के कहा की तुम्हे ब्रह्ममा हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म हत्या आदि तक के सभी पाप नष्ट हो जाते है और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी के अन्त मे विष्णुलोक को चले जाते है। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण और पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त कर लेते है।