घमण्ड का पुतला ~ premchand ki kahani
घमण्ड का पुतला शाम हो गयी थी। मैं सरयू नदी के किनारे अपने कैम्प में बैठा हुआ नदी के मजे…
घमण्ड का पुतला शाम हो गयी थी। मैं सरयू नदी के किनारे अपने कैम्प में बैठा हुआ नदी के मजे…
आत्माराम वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात: से संध्या तक अँगीठी के सामने…
अपनी करनी आह, अभागा मैं! मेरे कर्मो के फल ने आज यह दिन दिखाये कि ।।अपमान भी मेरे ऊपर हंसता…
लैला यह कोई न जानता था कि लैला कौन है, कहां है, कहां से आयी है और क्या करती है।…
दण्ड संध्या का समय था। कचहरी उठ गयी थी। अहलकार चपरासी जेबें खनखनाते घर जा रहे थे। मेहतर कूड़े टटोल…
मंदिर और मस्जिद चौधरी इतरतअली ‘कड़े के बड़े जागीरदार थे। उनके बुजुर्गों ने शाही जमाने में अंग्रेजी सरकार की बड़ी-बड़ी…
सैलानी बंदर जीवनदास नाम का एक गरीब मदारी अपने बन्दर मन्नू को नचाकर अपनी जीविका चलाया करता था। वह और…
स्वांग राजपूत खानदान में पैदा हो जाने ही से कोई सूरमा नहीं हो जाता और न नाम के पीछे ‘सिंह…
गुल्ली-डंडा हमारे अंग्रेजी दोस्त माने या न मानें मैं तो यही कहँगा कि गुल्ली-डंडा एसब खेलों का राजा है। अब…
झाँकी कई दिन से घर में कलह मचा हुआ था। माँ अलग मुँह फुलाए बैठी थी , स्त्री अलग। घर…