कभी भी घमंड न करें ~ top 10 moral stories in hindi
कहानी की शिक्षा
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कहानी की शिक्षा
लकड़हारे की कुल्हाड़ी ~ top 8 moral stories in hindi
एक समय की बात है एक छोटे से गांव में एक श्याम नाम का लकड़हारा रहता था वह जंगल से लकड़ियां काटता और उन्हें बाजार में बेच कर पैसे कमाता था। वह लकड़हारा बहुत ही ईमानदार और सच्चा था।
वह गांव के पास ही के जंगल में से लकड़ी काटता था और उन्हें बाजार में बेचता था। उसके पास लकड़ी काटने के लिए एक कुल्हाड़ी थी जिसे वह बहुत सम्भाल कर रखता था।
एक समय ऐसा आया जब लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल में लकड़ी काटने के लिए गया तो लकड़हारा देखता है कि जंगल में काटने के लिए सुखी लकड़ियां नहीं हैं। ऐसे में लकड़हारा बहुत परेशान हो जाता है और भगवान से कहता है –
“हे भगवान अब मैं क्या करूँ जंगल में से तो सुखी लकड़ियां खत्म हो गई हैं अब मैं पैसे कैसे कमाऊंगा”
लकड़हारा दुखी होकर जंगल में बैठ गया और आसमान की तरफ देखने लगा।
तभी उसकी नजरें एक तालाब पर पड़ी लकड़हारा पानी पिने के लिए तालाब के पास चला गया और पानी पिने लगा। जब लकड़हारा पानी पीकर लोटा तो उसने 4-5 सूखे पेड़ देखे लकड़हारे ने सूखे पेड़ों के पास जाकर कहा –
“हे भगवान तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद”
लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी निकाली और पेड़ काटने लगा। श्याम लकड़हारा 4 पेड़ों की लकड़ियां काट चूका था पांचवा पेड़ तालाब के बहुत करीब था।
जब लकड़हारा पांचवे पेड़ की लकड़ी काटने लगा और लकड़ी काटने के लिए उस पर कुल्हाड़ी से वार करने लगा। लकड़हारे के हाथ से कुल्हाड़ी फिसल गई और सीधे तालाब में जा गिरी।
लकड़हारा परेशान हो गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया तालाब बहुत गहरा था इसलिए लकड़हारा चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाया और रोने लगा। रोते हुए लकड़हारा भगवान से कहता है –
“हे भगवान मेरी सहायता करो मेरे पास लकड़ी काटने के लिए कोई भी दूसरी कुल्हाड़ी नहीं है मैं कल लकड़ी नहीं काट पाउँगा”
तभी तालाब से भगवान प्रकट होते हैं और लकड़हारे से पूछते हैं-
“तुम रो क्यों रहे हो”?
लकड़हारा खुश होकर जवाब देता है –
“हे भगवन मेरी कुल्हाड़ी इस तालाब में गिर गई है इस कारन मैं लकड़ियां नहीं काट पाउँगा”
तभी भगवान कहते हैं –
“तुम चिंता मत करो मैं तुम्हे अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी लाकर देता हूँ”
तालाब से प्रकट हुए भगवान अपने हाथ को आगे करते हैं और उनके हाथ मे सोने की बहुत ही कीमती कुल्हाड़ी प्रकट हो जाती है और भगवान लकड़हारे से पूछते हैं-
“क्या यह सोने की कुल्हाड़ी तुम्हारी है” ?
लकड़हारा ईमानदार था लकड़हारे ने जवाब-
“दिया भगवान यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है मेरी कुल्हाड़ी तो दूसरी है”।
तब भगवान ने अपने हाथ को आगे किये और चाँदी की कीमती कुल्हाड़ी प्रकट की और लकड़हारे से पूछा –
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है” ?
लकड़हारे ने जवाब दिया –
“यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है” ।
भगवान श्याम लकड़हारे की परीक्षा ले रहे थे भगवान को अब पता चल गया था कि लकड़हारा बहुत ही ईमानदार है। तभी भगवान ने लोहे की कुल्हाड़ी प्रकट की और लकड़हारे से पूछा –
“क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है” ?
श्याम लकड़हारा बहुत ही खुश होकर कहता है –
“हाँ भगवान यही मेरी कुल्हाड़ी है”
भगवान ने लोहे की कुल्हाड़ी श्याम लकड़हारे को दे दी। लकड़हारे ने भगवान का सच्चे दिल से धन्यावाद कहा।
तभी भगवान ने कहा-
“मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था तुम बहुत ही ईमानदार हो इस कारण मैं तुम्हे ये दो सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ दान में देता हूँ” ।
लकड़हारा बहुत ही खुश हुआ और उसने वह कुल्हाड़ियाँ ले ली और लकड़हारे ने सोने और चांदी की कुल्हाड़ियाँ बेच दी।
लकड़हारा बहुत अमीर हो गया। उसके बाद श्याम लकड़हारे ने शादी कर ली और अपना घर बसा लिया।
कहानी की शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा ईमानदारी से रहना चाहिए बिना। ईमानदारी से रहने वाले लोगों को भगवान किसी न किसी रूप में आकर खुद पुरुषकार देते हैं।
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(कहानी की शिक्षा)
समझदार पापा की प्रेणादायक कहानी। एकता में बल है। ~ top 6 moral stories in hindi
एक समय की बात है एक छोटे से गांव में एक बहुत ही मेहनती किसान रहता था उस किसान का नाम राम था।
वह बहुत अधिक मेहनत करके फसल उगाता था और उसे काटने के बाद बाजार में बेच देता था जिससे उसके पास परिवार के पालन पोषण के लिए पैसे आ जाते थे।
उस किसान के 2 बेटे थे जिनका नाम चिंटू और पिंटू था। जिन्हे वह बहुत प्यार करता था। उनके लिए वह हर रोज खाने के लिए नई चीजें लाता था और वे बहुत खुश हो जाते थे।
लेकिन किसान एक बात से बहुत दुखी था कि वह हमेशा झगड़ते रहते थे। घर का काम नहीं करते थे छोटी छोटी बात पर झगड़ना शुरू कर देते थे।
समय बीतता चला गया पर उनका झगड़ना कभी भी बंद नहीं हुआ देखते ही देखते चिंटू 10 साल का हो गया और पिंटू 9 साल का हो गया।
उनके पापा ने उन्हें स्कूल में पढ़ने के लिए भेज दिया वह स्कूल इकढ्ठा नहीं जाते थे। एक समय ऐसा आया कि चिंटू की स्कूल में एक लड़के के साथ लड़ाई हो गई वह लड़का बहुत ही बुरा था।
चिंटू अकेला था इसलिए उस लड़के का कुछ नहीं कर पाया क्योंकि वह बहुत ताकतवर था। वह रोते रोते अपने घर चला गया। जब उसका पापा खेतों से काम करके घर लोटा तो उसने उस बुरे लड़के की शिकायत अपने पापा से कर दी।
राम बहुत दुखी हुआ। राम ने बहुत मेहनत करके एक उपाए सोचा।
अगले दिन जब चिंटू और पिंटू स्कूल से वापिस आये तो उनके पापा ने चिंटू और पिंटू को खाने के लिए मीठी चीज दी और दोनों को एक साथ बिठाया।
चिंटू और पिंटू के पापा ने बड़ी चालाकी से चिंटू को खाने के लिए कम चीज दी और पिंटू को ज्यादा। वह जानता था कि दोनों को एक बराबर चीज न देने पर वह झगड़ेंगे और वैसा ही हुआ।
चिंटू और पिंटू झगड़ने लगे। उनके पापा ने उन्हें समझाया कि –
“अगर तुम आपस में लड़ोगे तो तुम्हे कोई भी पिट कर चला जायेगा”।
चिंटू और पिंटू तब भी नहीं माने।
उसके बाद चिंटू और पिंटू के पापा ने चिंटू को एक लकड़ी निकाल कर दी और कहा-
“अब इसे तोड़ो”
चिंटू ने लकड़ी आराम से तोड़ दी और कहा-
“पापा मैंने लकड़ी तोड़ दी है”
फिर उसके पापा ने उसे एक साथ दो लकड़ियां दी और कहा-
“अब इन दो लकड़ियों को एक साथ तोड़ो”
चिंटू ने पहले वाली लकड़ी से ज्यादा जोर लगाया और दोनों लकड़ियां तोड़ दी।
फिर उनके पापा ने चिंटू को तीन लकड़ियां दी और कहा –
“अब इन्हे तोड़ कर दिखाओ “
चिंटू को लकड़ियां तोड़ते हुए बहुत मजा आ रहा था। चिंटू ने पूरा जोर लगाकर तीनो लकड़ियां तोड़ दी।
आखिर में चिंटू के पापा ने चिंटू को 4 लकड़ियां दी और कहा-
“अब इन्हे तोड़ के दिखाओ”
चिंटू ने पूरा जोर लगा दिया पर चिंटू से लकड़ियां नहीं टूटी और अपने पापा से कहने लगा-
“ये मुझसे नहीं टूटेंगी”
तभी चिंटू के पापा ने कहा कि –
“तुम दोनों इसे मिल कर तोड़ो”
चिंटू और पिंटू ने लकड़ियों को दोनों तरफ से पकड़ा और बड़ी आसानी से लकड़ियां तोड़ दी।
इसके बाद चिंटू और पिंटू के पापा ने उन्हें शिक्षा दी कि –
“अगर तुम इन लकड़ियों की तरह साथ रहोगे झगडोगे नहीं तो तुम्हे आसानी से कोई नहीं हरा सकता।
अब चिंटू और पिंटू को समझ आ गया था। अब वे इकठा स्कूल में जाते और किसी भी बुरे लड़के से झगड़ा होने पर दोनों उससे निपटते।
चिंटू और पिंटू के प्यार की सब तारीफ करते। चिंटू और पिंटू अब प्यार से अपने पापा के साथ रहते हैं और उनका कहना मानते हैं।
कहानी की शिक्षा
मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती ~ top 5 moral stories in hindi
एक समय की बात है। छोटू नाम का एक लड़का था। जो एक मध्य वर्ग के परिवार से सम्बन्ध रखता था। वह अपने स्कूल बिना नागा किये जाया करता था छोटू अभी पांचवी कक्षा में था। वो बहुत अधिक पढ़ता था।
लेकिन वह अपने प्रश्नो के उत्तर याद नहीं कर पाता था। वो प्रश्नो के उत्तर याद करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करता था लेकिन जब परीक्षा का समय आता तो सभी उत्तर भूल जाता। जैसे कैसे करके उसने पांचवी कक्षा की परीक्षा पास कर ली और छोटू छठी कक्षा में चला गया।
लेकिन छठी कक्षा की पढ़ाई उसके लिए बहुत मुश्किल थी छोटू बहुत मेहनत करता पर प्रश्नो के उत्तर उसे याद नहीं हो पाते थे
सभी बच्चे उसे कहने लगे तुम्हारे बस की यह पढ़ाई नहीं है तुम स्कूल छोड़ दो। लेकिन छोटू ने हार नहीं मानी।
वह स्कूल से आकर सारा दिन पढ़ा करता था और देर रात तक पढाई करता था।
समय बीतता चला गया और परीक्षा का दिन आ गया। इस बार भी उसने बहुत मेहनत की थी लेकिन वह इस बार परीक्षा में सफल न हो पाया। सभी उसके ऊपर हंसने लगे एक दिन वह निराश हो कर गांव कुए के पास बैठ गया।
तभी वहां पानी भरने के लिए एक बूढी ओरत आयी जब वह पानी भरने के लिए कुए से पानी निकलती थी तो पानी निकलने वाली रस्सी एक पत्थर पर लगड़ाती थी जब कुए से पानी निकाला जाता तब भी वह रस्सी उस पत्थर से रगड़ती।
छोटू ने देखा कि कईं सालों से उस पत्थर पर रस्सी के रगड़े जाने से पत्थर पर रस्सी जैसा ही निशान पड़ गया था।
अब छोटू के दिमाग में एक बात आयी कि अगर यह मामूली सी रस्सी लगातार इस पत्थर से रगड़ने पर अपना निशान छोड़ सकती है तो लगातार मेहनत करने पर मुझे भी प्रश्नो के उत्तर जरूर याद होंगे।
छोटू ने उस पत्थर और रस्सी से सीख ली और पहले से ज्यादा मेहनत लगा इस बार वह छठी कक्षा में बहुत अच्छे अंको से सफल हुआ सभी उसकी तारीफ करने लगे। धीरे धीरे करके उसने सभी परीक्षाएं पास की।
अब छोटू बहुत बड़ा विज्ञानिक बन चूका है।
शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप किसी कार्य में सफलता हांसिल करना चाहते हैं और सफलता नहीं मिल रही तो छोटू की तरह उसी कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित कर दीजिये जैसे कि रस्सी पत्थर पर सिर्फ एक जी जगह पर रगड़ती गयी और कुछ ही समय में उस मामूली से रस्सी ने उस कठोर पत्थर पर भी अपना निशान छोड़ दिया।
इस तरह आपको कभी न कभी तो सफलता जरूर मिलेगी अगर सफलता नहीं मिलती तो और ज्यादा उस लक्ष्य के लिए मेहनत करें।
आपको सफल होने के लिए यह तो समझना ही होगा कि असफलता ही आपको सफल बनाती है। अगर आप असफल हुए तो समझ लीजिये कि आप अगली बार उस कार्य को बहुत ही अच्छे तरीके से करेंगे और लगातार मेहनत करने पर जरूर कामयाब होंगे।
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अधूरा ज्ञान बर्बादी का कारण। ~ top 4 moral stories in hindi
एक समय की बात है एक बहुत ही गरीब आदमी हुआ करता था उसके पास सिर्फ एक छोटा खेत ही था जिससे वह कुछ फसल ऊगा कर बेचता था और कुछ रोजी रोटी कमाता और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। हर साल फसल अच्छी हुआ करती थी।
लेकिन एक बार उसकी फसल कीड़ा लगने की वजह से धीरे धीरे बर्बाद हो रही थी किसान बहुत डर गया कि इस बार अगर उसकी फसल नहीं हुई तो वो अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करेगा
वह किसान निराश होकर फसलों की दवाई की दुकानों पर गया और दुकानदार से कहने लगा –
मेरी फसल को धीरे धीरे कीड़ा खा रहा है मुझे कोई ऐसी दवाई दीजिये कि मेरी फसल में लगा हुआ कीड़ा मर जाये और मेरी फसल अच्छी हो जाये।
दुकान दार ने जवाब दिया –
हमारी दुकान पर ऐसी दवाई तो है पर उसको अपनी फसल में इस्तेमाल पहले आपको इसमें लिखे हुए निर्देशों का पालन करना होगा।
किसान ने कहा –
कृपया करके मुझे वो कीटनाशक दवाई दे दें। मैं निर्देशों का पालन जरूर करूँगा।
किसान ने कीटनाशक ले लिया और उसमे लिखे हुए निर्देशों को पढ़ा कुछ निर्देशों का उसने पालन किया लेकिन उसमे यह भी लिखा हुआ था कि आप इस कीटनाशक का फसल में प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
किसान ने सोचा कि सिर्फ लिखे हुए निर्देश ही काफी हैं। इसके बाद किसान अपनी फसल में उस कीटनाशक का छिड़काव करने लगा। लेकिन उसने विशेषज्ञ की सलाह नहीं ली थी जिसके कारण उसने कीटनाशक की जरुरत से ज्यादा मात्रा फसल में छिड़क दी। कुछ दिन बाद उसने देखा कि उसकी फसल बिलकुल सुख गई है अब उसके पास अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए कोई रास्ता नहीं था।
अब किसान पछताया कि अगर उसने विशेषज्ञ की सलाह ली होती तो इस साल भी उसकी फसल अच्छी होती।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा अधूरा ज्ञान बर्बादी का कारण बनता है। हमेशा सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके ही अपना कोई भी काम करें।
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सोने का अंडा देने वाली मुर्गी ~ top 3 moral stories in hindi
एक गांव में एक बहुत ही गरीब व्यक्ति रहता था उसका नाम हरी था। हरी इतना गरीब था कि सिर्फ दो समय का खाना भी बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को खिला पाता था लेकिन वह हमेशा भगवान का नाम लेता रहता था सुबह श्याम पूजा करना उसकी आदत थी।
एक दिन ऐसा आया कि उसको कहीं भी रोजगार नहीं मिल रहा था कई दिन वह रोजगार की तलाश में इधर उधर भटकता रहा। उसके परिवार को दो तीन दिन से खाना नहीं मिल रहा था वह भूख के मारे तड़प रहे थे। जब उसे कोई रोजगार नहीं मिला तो वह भगवान को याद करने लगा।
अचानक उसके सामने भगवान प्रकट हुए और उसे कहा –
मैं तुमसे बहुत प्रसन हूँ मांगों तुम क्या चाहते हो।
हरी ने कहा –
हे भगवान मुझे कोई ऐसी वस्तु दीजिये जिससे मैं अपने परिवार को भरपेट खाना खिला सकूँ और उन्हें अच्छे अच्छे कपडे पहना सकूँ।
भगवान ने उसे एक मुर्गी दी जो सोने के अंडे देती थी और कहा-यह मुर्गी हर हफ्ते एक सोने का अंडा देगी जिससे तुम्हारी गरीबी खत्म हो जाएगी।
हरी ने वो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी ले ली। वह कुछ ही समय बाद वह बहुत अमीर हो गया। उसके बड़े बड़े कारोबार चलने लगे वह गांव में सबसे अमीर हो गया।
लेकिन वह धन के लालच में आ गया और एक दिन उसने सोचा कि ये मुर्गी तो एक हफ्ते में सोने का अंडा देती है क्यों न मैं इसे मारकर इसके अंदर से सभी अंडे अभी निकाल लूँ और बहुत धनवान हो जाऊँ।
जब उसने मुर्गी को मरकर मुर्गी के पेट में देखा तो एक भी अंडा नहीं था। अब वह पछताने लगा और धीरे धीरे फिर से गरीब हो गया।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। लालच करने से हमेशा हानि ही होती है।
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दो गरीब दोस्तों की प्रेरक कहानी ~ top 2 moral stories in hindi
एक समय की बात है। एक गांव में दो दोस्त रहा करते थे उनका नाम आशु और वाशु था। वह गरीब थे। आशु और वाशु दोनों इकट्ठे स्कूल में जाया करते थे वो पहली कक्षा से ही साथ थे और बाहरवीं कक्षा तक साथ ही रहे इस कारण उनकी दोस्ती बहुत पक्की हो गयी।
अब वह बड़े हो चुके थे और अपनी गरीबी को दूर करने के लिए कोई काम करना चाहते थे। कोई काम शुरू करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए दोंनो ने एक सलाह बनाई कि हम कुछ पैसे उधार लेकर अपना काम शुरू करेंगे।
वह किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानते थे जो उन्हें कर्ज दे सके इसलिए उन्होंने अपने स्कूल के मास्टर जी से पैसे उधार लेने की सलाह बनाई ।
वह मास्टर जी के पास उधार लेने के लिए उनके घर गए और मास्टर जी से कहने लगे –
मास्टर जी हमें अपना कोई काम शुरू करना है इसलिए हमें कुछ पैसे उधार चाहिए।
मास्टर जी ने उन्हें एक-एक हजार रूपए दिए और कहा –
बेटा तुम ये पैसे ले लो और अपना काम शुरू करो लेकिन तुमको ये पैसे मुझे 1 साल के बाद लौटाने होंगे।
आशु और वाशु ने कहा ठीक है मास्टर जी हम आपको ये पैसे 1 साल के बाद जरूर लोटा देंगे।
आशु और वाशु पैसे लेकर चले गए रास्ते में जाते हुए वाशु ने कहा-
चलो हम इन पैसों से मौज मस्ती करते हैं और खाते पिते हैं।
इसपर आशु ने कहा-
नहीं हमने यह पैसे कुछ काम शुरू करने के लिए उधार लिए हैं जिससे हमारी गरीबी दूर हो सके।
वाशु ने आशु की बात नहीं मानी और वहां से चला गया।
लेकिन आशु ने अपना काम शुरू करने के लिए बहुत मेहनत की और मास्टर के द्वारा दिए गए पैसों से उसने किसानो के पास से सब्जियां खरीदी और बाजार में बेचने चला गया उसे बहुत अच्छा मुनाफा हुआ। वह हर रोज किसानो से सब्जियां लेता और उन्हें बाजार में बहुत मेहनत करके बेचता।
धीरे धीरे उसने शहर में एक दुकान ले ली और दुकान में सब्जियां बेचने लगा। अब आशु बहुत बड़ा आदमी बन चूका था।
वाशु ने उन पैसों को मौज मस्ती करने में खर्च दिया जिसके कारण वाशु अब भी गरीब है।
लेकिन जब उन्हें मास्टर जी के द्वारा बोली गयी बात याद आयी तो दोनों मास्टर जी के घर पहुंचे जब मास्टर ने आशु से पूछा-
तुम मेरे पैसे लाये हो?
तो आशु ने मास्टर जी का धन्यवाद करते हुए उन्हें एक हजार की जगह दो हजार रूपए दिए और कहा –
मास्टर जी आपसे लिए गए पैसों से मैंने सब्जी बेचने का काम किया जिससे आज मैं बहुत अमीर हो गया हूँ।
लेकिन जब वाशु से मास्टर जी ने पूछा कि क्या तुम मेरे पैसे लेकर नहीं आये तो वाशु ने जवाब दिया मास्टर जी मैंने वह पैसे खाने पिने के लिए खर्च दिए थे जिससे मैं गरीब का गरीब रह गया उन पैसों से मैंने सिर्फ एक दिन ही मौज की लेकिन अगर मैं उनको काम करने के लिए प्रयोग करता तो मैं भी आज आमिर होता।
अब वाशु बहुत पछताया।
शिक्षा
इस कहानी से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि हमें मेहनत करनी चाहिए। जो व्यक्ति मेहनत करता है उसे उसका फल देर से ही सही पर मिलता जरूर है। दूसरी ओर यह कहानी हमें यह शिक्षा भी देती है कि अगर हमारे पास धन है तो उसे फिजूलखर्जी में बर्बाद नहीं करना चाहिए उसे सही जगह लगाना बहुत फायदा दे सकता है।
अगर आप धन को बे फिजूल में खर्च करते हैं तो सिर्फ कुछ समय तक ही मौज हो पाती है वहीँ अगर आप उसे सही जगह लगते हो तो जिंदगी भर की मौज मिलती है।
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राजा और बंदर की कहानी ~ top 1 moral stories in hindi
क बार एक राजा का बहुत ही ईमानदार बंदर था जो राजा का विश्वाश जीत कर मनमाने तरीके से महल में घुमा करता और राजा की हर आज्ञा का पालन करता। वह राजा के साथ हर समय रहता था राजा भी उसे मनमाने तरीके से राजमहल में रहने देता। एक बार राजा ने सोते समय उस बंदर से हवा झोलने कहा जिससे उसे मक्खी मच्छर आदि न लगे। हवा के झोंको से राजा की आंख लग गई तभी एक मक्खी आकर राजा की छाती पर बैठ जाती है।
बंदर उसे पंखा झोल कर उड़ा देता पर कुछ समय बाद वह मक्खी दोबारा आकर राजा की छाती पर बैठ जाती है, ऐसा लगभग पांच छः बार हुआ। बंदर को बहुत गुस्सा आ गया ऐसे में उसने अपने हाथ में पंखे की जगह तलवार उठा ली और सोचने लगा कि अगर मक्खी दोबारा आकर राजा की छाती पर बैठी तो मैं उसे तलवार से काट कर मर दूंगा जिससे मुझे भी शांति मिलेगी। मक्खी दोबारा आकर राजा की छाती पर बैठ जाती है और बंदर जोर से उसकी छाती पर तलवार से वार करता है जिससे मक्खी के साथ साथ राजा के भी दो टुकड़े हो जाते हैं।
शिक्षा
अगर आपको लम्बी उम्र और लाभ चाहिए तो कभी भी मुर्ख सेवक या नौकर न रखें।