चाणक्य नीति में शिक्षा को लेकर कुछ बातें कही गयी हैं जो बहुत ही विशेष हैं।
- चाणक्य
“शिक्षा मनुष्य का ऐसा गुप्त धन है जिसे चोर भी चुरा नहीं सकता। इसलिए शिक्षा को सवर्श्रेष्ठ धन माना जाता है।”
- चाणक्य
“शास्त्रों के ज्ञान से इंद्रियों को शांत अथवा उन्हें अपने वश में रखा जा सकता है।”
- चाणक्य
“ज्ञानी पुरुषों को किसी प्रकार का भय नहीं होता है।”
- चाणक्य
“विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह क्रोध, लोभ, स्वादिष्ट पदार्थों की इच्छा, श्रृंगार और अधिक सोना इन बातों का त्याग कर दे। ”
- चाणक्य
''जिस व्यक्ति के पास
शिक्षा
रूपी मसाल होती है अंधेरा उससे कोसों दूर रहता है। इसलिए व्यक्ति को सर्वप्रथम शिक्षा ग्रहंण करनी चाहिए।"
- चाणक्य
"शिक्षा ही सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति हर जगह सन्मान पाता है. शिक्षा यौवन और सौंदर्य को परास्त कर देती है ।"
- चाणक्य
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