- चाणक्य
“चाणक्य के अनुसार श्रेष्ट व्यक्ति की परीक्षा इस प्रकार होती हैं”
- चाणक्य
“जैसे सोने की परीक्षा चार तरह से होती है”
- चाणक्य
“सोने को कसौटी पर खीसा जाता है”
- चाणक्य
“उसे काट कर देखा जाता है”
- चाणक्य
“तपाया जाता है और कूट कर उसका परीक्षण किया जाता है”
- चाणक्य
“उसी प्रकार मनुष्य कितना श्रेष्ठ है ये भी इन चार बातों से पहचाना जाता है।”
- चाणक्य
“उसकी सज्जनता, उसका चरित्र, उसके गुण और उसका आचरण-व्यवाहर उसकी श्रेष्ठता की पुष्टि करता है।”
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