कर्मों का फल ~ premchand ki kahani
कर्मों का फल माझे हमेशा आदमियों के परखने की सनक रही है और अनुभव के आधार उपर कह सकता हूँ …
कर्मों का फल माझे हमेशा आदमियों के परखने की सनक रही है और अनुभव के आधार उपर कह सकता हूँ …
अनाथ लड़की सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर …
नेकी सावन का महीना था। रेवती रानी ने पांव में मेहंदी रचायी, मांग-चोटी संवारी और तब अपनी बूढ़ी सास ने …
सिर्फ एक आवाज सुबह का वक्त था। ठाकुर दर्शनसिंह के घर में एक हंगामा बरपा था। आज रात को चन्द्रग्रहण …
राजहठ दशहरे के दिन थे, अचलगढ़ में उत्सव की तैयारियों हो रही थीं। दरबारे आम में राज्य के मंत्रियों के …
पुत्र–प्रेम बाबू चैतन्यादास ने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था, और केवल पढ़ा ही नहींथा, उसका यथायोग्य व्याहार भी वे करते थे। …
वासना की कड़ियाँ बहादुर, भाग्यशाली कासिम मुलतान की लड़ाई जीतकर घमंउ के नशे से चूर चला आता था। शाम हो …
मिलाप लाला ज्ञानचन्द बैठे हुए हिसाब-किताब जाँच रहे थे कि उनके सुपुत्र बाबू नानकचन्द आये और बोले- दादा, अब यहां …
घमण्ड का पुतला शाम हो गयी थी। मैं सरयू नदी के किनारे अपने कैम्प में बैठा हुआ नदी के मजे …
आत्माराम वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात: से संध्या तक अँगीठी के सामने …