फाल्गुन पुर्णिमा की व्रत कथा (2023) | falgun purnima vrat katha

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एक नजर मे फाल्गुन

फाल्गुन का महीना हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है। इस महीने से धीरे धीरे गरमी की शुरुआत होती है,और सर्दी कम होने लगती है।


फाल्गुन पुर्णिमा की व्रत कथा (falgun purnima vrat katha)

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राज था। हिरण्यकश्यप अपने कठोर तपस्या से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर एक वरदान मांगा था। वरदान के रूप में वह न घर में न बाहर, न दिन में न रात में, न आकाश में न पाताल में और ना ही किसी अस्त्र-शस्त्र से मारा जाएगा। ऐसा वर मांगकर एक प्रकार से वह भगवान विष्णु से अमरता का वरदान मांग लिया था।

हिरण्यकश्यप राक्षस राज होने की वजह से भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था। हिरण्यकश्यप खुद को ही भगवान मानता और अपनी प्रजा को भी खुद को भगवान मानने पर विवश करता था।

हिरण्यकश्यप को संतान के रूप में एक पुत्र की प्राप्ति हुई। जिसका नाम उसने प्रहलाद रखा। प्रहलाद बचपन से ही विष्णु भक्त था। वह भगवान विष्णु को ही अपना ईश्वर मानता था। यह देखकर हिरण्यकश्यप को प्रहलाद के ऊपर बहुत क्रोध आता था। बार-बार समझाने के बाद भी जब वह अपने पिता हिरण्यकश्यप को भगवान मानने से इनकार कर दिया। तब हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के कई उपाय किए। मगर प्रहलाद हर बार बच जाता था। तब हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी।

होलिका को वरदान प्राप्त था कि प्रचंड आग भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकता था। आग उसे नहीं जला सकता था। वह अपने भाई की आज्ञा का पालन करते हुए प्रहलाद को गोद में बिठाकर जलती हुई आग पर बैठ गई।

प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। यह सब देखकर वह भगवान विष्णु की स्तुति करने लगा। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद की प्रार्थना सुनकर उसकी जान बचा दी। उस आग में प्रहलाद का एक बाल भी नहीं जला। वहीं होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। होलिका दहन मनाने का यही कारण है तथा अगले दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का त्योहार मनाया जाता है।

पुरातन काल से ही इस दिन लकड़ी और उपले से होलिका का निर्माण करके उसे जलाया जाता हैं। यह दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में  मनाया जाता हैं। होलिका दहन के समय भगवान विष्णु और प्रहलाद का स्मरण जरूर करना चाहिए। इस दिन विधि-विधान से होलिका दहन मनाने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। कुछ लोग इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करने से  सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

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