ईमानदार कुत्ता और लालची बिल्ली
एक समय की बात है एक गाँव में एक बिल्ली और एक कुत्ता रहते थे। वह आपस में मिलजुल कर रहते थे। कुत्ता बहुत ही ईमानदार और सच्चा था।
वह कभी भी झूठ नहीं बोलता था अपने हिस्से में से खाने के लिए बिल्ली को भी देता था।
बिल्ली और कुत्ते की दोस्ती बहुत ही पक्की थी लेकिन बिल्ली बहुत ही लालची थी वह अपने खाने में से कुत्ते को कुछ भी खाने को नहीं देती थी सारा भोजन अकेले ही खा जाती थी और कुत्ता इस बात का बिलकुल भी बुरा नहीं मानता था।
एक समय ऐसा आया कि कुत्ते और बिल्ली दोनों दोस्तों को खाने के लिए भोजन नहीं मिल रहा था दोनों कई दिन से भूके थे।
दोनों ने फैसला किया कि हमें अब भोजन ढूंढ़ने के लिए कहीं बाहर जाना होगा। दोनों भोजन ढूंढ़ने के लिए निकल पड़े। कुछ समय बाद वह एक शहर में पहुंचे और श्याम हो गई।
बिल्ली आगे आगे चल रही थी कुत्ता पीछे पीछे। रास्ते में चलते हुए बिल्ली को एक मांस का टुकड़ा दिखा कुत्ता उस पर ध्यान नहीं दे पाया।
बिल्ली लालची थी बिल्ली उस मांस के टुकड़े को लेकर भाग गई कुत्ता उसे देखता रहा कुत्ता जनता था कि बिल्ली बहुत ही लालची है।
बिल्ली भागते हुए एक जंगल में पहुँच गयी और एक पेड़ के निचे बैठ कर मांस का टुकड़ा खाने लगी बिल्ली ने मांस का टकड़ा खा कर खत्म कर दिया था फिर उसे अपने दोस्त कुत्ते की याद आ गई।
वह लोट कर कुत्ते के पास चली गई। जब बिल्ली मांस का टुकड़ा लेकर भाग रही थी तब कुत्ते को थोड़ी ही दूर जाकर बहुत ही अच्छा मांस का टुकड़ा मिल जाता है।
कुत्ता ईमानदार था कुत्ते ने बिल्ली के लिए आधा मांस का टुकड़ा बचा कर रखा था। बिल्ली ने कुत्ते को ढूंढ लिया जब वह कुत्ते के पास पहुंची तो देखती है कि कुत्ते ने मांस का टुकड़ा मेरे लिए बचा कर रखा है।
वह कुत्ते को उठाती है और कहती है-
“तुमने यह मेरे लिए बचा कर रखा है”?
कुत्ता कहता है-
“हाँ मैंने यह तुम्हारे लिए ही बचाया है परन्तु पहले ये बताओ तुम कहाँ चली गई थी” ?
बिल्ली लालची थी उसने वह मांस का टुकड़ा खाने के लिए झूठ बोल दिया और कुत्ते से कहती है-
“मैं तो यही आसपास खाना ढूंढ़ रही थी पर जब खाना नहीं मिला तो मैं आराम करने लगी”।
लेकिन कुत्ता जनता था कि बिल्ली बहुत लालची है फिर भी कुत्ते ने उसे मांस का टुकड़ा खाने के लिए दे दिया।
जब कुत्ता और बिल्ली वापिस अपने गांव जा रहे थे। रास्ते में जाते समय उन्हें रात हो गई। दोनों ने वही आराम करने का फैंसला किया।
जब वह आराम करने के लिए पेड़ के निचे जा रहे थे तब उन्हें वहां एक बहुत ही चमचमाता सन्दूख दिखा। जब बिल्ली और कुत्ते ने वह खोलकर देखा तो उसमे हिरे और सोना भरा हुआ था
बिल्ली के मन में लालच आ गया और वह सन्दूख उढ़ाकर भागने लगी। कुत्ते को धन का लालच नहीं था। कुत्ते ने उसे कहा –
“रुक जाओ. ….. रुक जाओ……. मैं तुमसे यह नहीं लूंगा “
बिल्ली नहीं रूकती भागते भागते उसे सुबह हो जाती है और प्यास लगती है। कुछ ही दुरी पर उसे कुआ दिखता है वह सन्दूख मुँह में लिए कुएं के पास जाती है और पानी पिने के लिए कुए में देखती है।
कुए का पानी बहुत ही साफ था बिल्ली मुँह में लिए हुए सन्दूख की तस्वीर कुए के पानी में देखती है और समझती है कि कुए में दूसरी बिल्ली मुँह में सोने और हीरों का सन्दूख लिए है
मैं इस सन्दूख को भी इससे छीन लेती हूँ बस बिल्ली कुए में झलांग लगा देती है जब बिल्ली पानी में गिरती है तब समझती है कि यह तो मेरी ही तस्वीर थी।
बस बिल्ली पानी में डुब जाती है। न ही उसके हाथ धन लगता है और न ही वह अपने दोस्त कुत्ते के पास वापिस जा पाती है।
(कहानी की शिक्षा)
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमें बिल्ली की तरह लालच नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति लालच करते हैं उन्हें बहुत भरी हानि उठानी पड़ती है चाहे वो आर्थिक हानि हो या रिश्तों की हानि। लालच बुरी बला है
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