किसान और सांप की कहानी (Panchatantra Stories In Hindi With Pictures)

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एक बार एक गांव में हरिदत्त नाम का एक किसान रहता था। वह खेती करता था। परन्तु उसके खेती करने के बाद भी उस खेती से वह कुछ नहीं कमा पता था। उसकी सारी फसल नस्ट हो जाती थी एक दिन जब वह खेतों में काम कर रहा था तब उसने गर्मी से व्याकुल अपने खेत के बीचों बिच के एक पेड़ के निचे काला सांप बैठा हुआ था। 

सांप को देखकर हरिदत्त ने सोचा कि “शायद यह मेरी इस जमीन का देवता है मैंने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया इसलिए ही मेरी फसल हर बार नस्ट हो जाती हैं मुझे अवश्य ही इसकी पूजा करनी चाहिए।” 

हरिदत्त कहीं से भीख मांग कर दूध लाया और सांप के आगे रखकर कहने लगा – “हे देवता मैंने आज से पहले आपको नहीं देखा था इसलिए मैंने आपकी पूजा नहीं की।” 

यह कहकर हरिदत्त सांप के आगे दूध रखकर चला गया। अगले दिन जब हरिदत्त ने अपने खेत में आकर देखा तो सांप को दूध पिलाने वाले कटोरे में एक सोने की मोहर पड़ी थी। 

हरिदत्त हर रोज यही काम करता और उसे हर रोज एक मोहर प्राप्त होती थी। हरिदत्त एक दिन अपने लड़के को सांप को दूध पिलाने के काम पर लगा कर शहर किसी काम से चला गया। उसका लड़का कटोरे में दूध लेकर सांप की बाम्बी के पास रखकर आ गया लेकिन जब वह अगले दिन उसे दूध पिलाने के लिए गया तो उसने कटोरे में एक मोहर देखी। 

मोहर देखकर उसने सोचा “शायद इस सांप ने अपनी बाम्बी में बहुत सोने की मोहरें छिपा रखी हैं जिसे ये हमें हर रोज एक एक निकल कर देता हैं।  अगर मैं इसको मार दूँ तो सारी मोहरें एक साथ ले लूंगा।”

यह सोचकर उसने एक डंडे से दूध पिटे सांप पर हमला कर दिया। लेकिन भाग्यवश वह किसी तरह बच गया और अपने जहरीले दांतो से उसे डस लिया जिससे वह तुरंत ही मर गया। गांव वालों ने उसे मरा देखकर वही जला दिया। 

 अगले दिन जब वह शहर से वापिस आया तो गांव वालों ने उसे सारी बात बताई और हरिदत्त  ने सांप का समर्थन किया। लेकिन सांप बील जोड़कर चला जाता है और किसान की आमदनी भी बंद हो जाती है। 

शिक्षा 

किसान ने सांप का स्नेह से समर्धन तो किया पर उसे कुछ प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि सांप तो जा चूका था। इसलिए कहते हैं “पहले टूटी और बाद में जोड़ी प्रीति स्नेह यानि प्यार से नहीं जुड़ती।  

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