Akbar Birbal |
शहंशाह अकबर युद्ध के लिए तैयार हो रहे थे। । सैनिक हाथों में शस्त्र-अस्त्र लिए उनके आसपास खड़े थे। बीरबल भी उनके साथ थे। अकबर बादशाह सेना के साथ जब महल से कुछ दूर आए तो उन्होंने चतर बीरबल से सवाल कर दिया, “बीरबल, तुम मेरे सच्चे दोस्त हो। बताओ, इस युद्ध में जीत किसकी होगी?” बीरबल असमंजस में पड़ गए।
बहुत सोच-विचारकर बोले, “जहांपनाह, अभी मैं कुछ नहीं कह सकता।” बादशाह चुपचाप रणक्षेत्र की ओर बढ़ गए। जब वह युद्ध के मैदान में पहुंचे तो उन्होंने बीरबल की ओर देखा और इशारे ही इशारे में वही सवाल बीरबल से किया। बीरबल ने जवाब में कहा, “जहांपनाह, विजय तो आपको ही मिलेगी।”
शहंशाह ने पूछा, “यह तुम्हें कैसे पता, बीरबल? उस समय पूछा था तो तुमने ऐसा जवाब नहीं दिया था।” बादशाह के यह पूछने पर बीरबल बोले, “बादशाह सलामत, सामने देखिए, आपका दुश्मन हाथी पर सवार है।
यह तो सबको ही मालूम है कि हाथी अपनी सूंड से धूल उठाकर अपनी पीठ पर फेंकता है और जब युद्ध का तांडव चारों तरफ शुरू होता है तो अपनी सुध-बुध खो देता है। हुजूर, आप तो घोड़े पर सवार हैं।
घोड़ा चालाक और बहादुर होने के साथ-साथ लड़ाकू भी होता है। मैंने यही सब देखकर अनुमान लगा लिया है कि विजय आपकी ही होगी।” और सचमुच ही उस युद्ध में अकबर बादशाह की ही विजय हुई।
युद्ध से लौटने के बाद बादशाह अकबर ने बीरबल को इनाम दिया। बीरबल केवल हाजिरजवाब ही नहीं बल्कि एक उम्दा किस्म के कूटनीतिज्ञ भी थे।