Short Moral Story in Hindi
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एक समय की बात है एक गांव में कुमार नाम का एक व्यक्ति रहता था वह एक बहुत ही अच्छा मूर्तिकार था और मूर्तियां बनाकर शहर में बेचता और अपना घर चलता था । उसके पास एक बेटा भी था जो कुमार साथ मूर्तियां बनाने में उसकी सहायता करता था।
उसकी द्वारा बनाई गयी मूर्तियां बहुत ही सूंदर होती थी। समय के साथ वह बड़ा हो गया और कुमार की तरह ही मूर्तियां बनाने लगा।
एक दिन जब कुमार का बेटा मूर्ति बनाने के लिए पत्थर ढूंढ़ने के लिए जा रहा था तब रस्ते में उसे एक साधु मिला। साधु ने उसे अपने पास बुलाया और कहने लगा –
बेटा तुम्हारी मेहनत को देखकर मैं बहुत खुश हूँ।
यह कहकर साधु ने उसे हथौड़ा और छैनी दी और कहा-
बेटा ये जादुई छैनी और हथौड़ा हैं तुम इनसे ऐसी मूर्तियां बना सकते हो जो बिलकुल सजीव लगे और बहुत ही सूंदर हो लेकिन तुम कभी भी लालच में आकर मूर्तियों को अधिक मूल्य में न बेचना और न ही बहुत धन कमाने के लिए इसका दुरपयोग करना।
कुमार के बेटे ने कहा –
ठीक है महाराज जैसा आप कहते हैं मैं वैसा ही करूँगा।
उस चैनी और हथोड़े से उनकी आर्थिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही वह धनवान ही गए।
एक दिन वहां के राजा ने उनसे 100 मूर्तियां बनवाने के लिए कहा वह लालच में आ गए और मूर्तियां बनाने लगे।
50 मूर्तियां बनाने के बाद छैनी और हथोड़ी उसके हाथ से छूट गई और गायब हो गई। उस समय उसे उस साधु की बात याद आ गई कि तुम इसका इस्तेमाल बहुत धन कमाने के लिए न करे।
अब राजा उनसे बहुत नाराज हो गए वह धीरे धीरे पहले वाली आर्थिक स्थिति में आने लगे और एक दिन पहले जैसे गरीब हो गए।
शिक्षा
इस कहानी से यह बिलकुल साफ हो जाता है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। लालच हमेशा विनाश का कारण बनता है।
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