एक बार बगलों से भरे हुए पेड़ में काला सांप रहा करता था। वह बगलों के छोटे-छोटे बालों वाले बच्चों को खाकर अपना जीवन यापन करता था। बगले उससे दुखी थे। एक बगला अपने बच्चों के खाये जाने के दुःख से दुखी होकर तालाब के किनारे रोने लगा। तभी वहां एक केकड़ा आकर उससे कहता है –
“अरे ! तुम क्यों रो रहे हो क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूँ।”
बगले ने कहा –
हमारे बच्चों को पेड़ के खोखले में रहने वाला सांप खा जाता है जिससे मैं बहुत दुखी हूँ तुम मुझे कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे मैं उस सांप को मार कर सुखी-सुखी अपना जीवन यापन कर सकूँ। “
केकड़े ने सोचा, ये हमारा दुश्मन है निश्चित ही अपने दुश्मन को मौका मिलते ही मारना चाहिए। मैं इसको कोई ऐसा उपाय बताऊंगा कि सांप भी मर जाएँ और बगले भी मर जाएँ और हम आसानी से अपना जीवन यापन कर सकें।
केकड़े ने कहा –
“तुम चिंता मत करो मैं तुम्हे एक उपाय बताता हूँ, तुम नेवले के बिल तक जाओ और वहां से सांप के खोखले तक मांस के टुकड़े रखते चले जाओ जिससे नेवला बिल से निकल कर मांस के टुकड़े खाता हुआ सांप के खोखले तक पहुंच जायेगा और सांप को देखते ही उसे मार देगा।”
बगले ने ऐसा ही किया नेवले ने सांप को तो मार दिया, लेकिन पेड़ पर रहने वाले सभी बगलों को भी धीरे धीरे खत्म कर दिया।
शिक्षा
अपनी मीठी वाणी बना कर और ह्रदय को निर्दय बना कर शत्रु को ऐसा उपदेश देना चाहिए जिससे उसका वंश सहित नाश हो जाये।