एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण था। वह गांव से भिक्षा मांग कर अपना गुजरा करता था। उसके पास सर्दी और गर्मी के लिए भी पर्याप्त कपडे नहीं थे। एक दिन जब वह भिक्षा मांगने के लिए गांव गया तो एक यजमान ने उसे बैलों की जोड़ी भिक्षा में दी। ब्राह्मण ने भी उसे उन्हें भिक्षा मांग-मांग कर घी और अन्य सामान से उन्हें बहुत तगड़े बना दिया। लेकिन ब्राह्मण के घर से गुजरते हुए एक चोर ने उन्हें देख कर सोचा- “इन बैलों को मैं आज रात चोरी करूँगा और इन्हे बेचकर बहुत धन कमाऊंगा।”चोर रात में ब्राह्मण के घर को निकल पड़ता है लेकिन रस्ते में उसे एक लाल आँखों वाला, लम्बी नाक वाला, बड़े-बड़े दांतो वाला और सुखी हुयी चमड़ी वाला बहुत तगड़ा राक्षस दिखाई पड़ता है। चोर उससे डर जाता है वह भागने ही वाला होता है कि राक्षस उससे पूछता है – “अरे! तुम कहाँ जा रहे हो।” चोर डरता हुआ कहता है- “मैं ब्राह्मण के घर बैलों की चोरी करने के लिए जा रहा हूँ।” राक्षस कहता है -“तुम डरो मत हम एक ही काम करते है तुम बैल चुरा लेना और मैं ब्राह्मण को खा लूंगा इसलिए हम इकट्ठा चलते हैं।”दोनों ब्राह्मण के घर पहुँच जाते हैं और राक्षश कहने लगता है -“पहले मुझे ब्राह्मण को खाने दो, अगर बैलों की चोरी करते समय आवाज हुयी तो वह जाग जायेगा और मुझे भगा देगा।”चोर कहता है – “नहीं पहले मुझे बैलों की चोरी करने दो अगर ब्राह्मण को खाते समय तुमसे कोई गलती हो गयी तो वह उठ जायेगा और हमें भगा देगा।”दोनों में शत्रुओं की तरहं लड़ाई हो जाती है और शोर-शराबे से ब्राह्मण जाग जाता है। राक्षश को देख वह अपने देवता के मन्त्रों के उच्चारण लगता है, मंत्रो की शक्ति से राक्षस भाग जाता है और चोर को तो वह डंडे से ही डरा कर भगा देता है।
शिक्षा
आपस में लड़ते हुए शत्रु हितकारी होते हैं जैसे चोर और राक्षस ब्राह्मण के शत्रु थे अगर वो एक साथ काम करते तो शायद सफलता प्राप्त करते पर आपस में लड़कर उन दोनों के बिच से ब्राह्मण फायदा उठा गया।