बीरबल |
बीरबल से एक बार शहंशाह अकबर इतना बा प्रसन्न हुए कि उन्होंने बीरबल को इनाम में जागीर देने का निर्णय कर लिया। बीरबल के बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यों से खुश होकर शहंशाह अकबर ने जागीर देने की बात तो कह दी लेकिन बाद में उनका इरादा बदल गया। बीरबल ने दो-तीन बार शहंशाह को उनका फैसला याद भी दिलाया लेकिन बादशाह बीरबल को अब जागीर देना नहीं चाहते थे।
एक रोज बीरबल ने कहा, “हुजूर, मेरी जागीर का क्या हुआ?”
बादशाह बीरबल की बात अनसुनी कर दूसरों की बातों में लग गए। बीरबल को बहुत बुरा लगा और वह अब मौके की तलाश में रहने लगे। एक दिन मौका आ ही गया। बादशाह बीरबल के साथ सैर पर निकले। रास्ते में उन्होंने ऊंट देखा तो बीरबल से सवाल कर दिया, “बीरबल, ऊंट की गर्दन टेढ़ी क्यों है?”
बीरबल ने जवाब में कहा, “जहांपनाह, यह भी किसी को पिछले जन्म में जागीर देने का वायदा करके भूल गया होगा।” बीरबल के इतना कहते ही शहंशाह शर्मसार हो गए और उसी समय उन्होंने बीरबल को जागीर देने की घोषणा कर दी।.