एक दिन बादशाह ने बीरबल को छकाने के विचार से एक भूल भुलैया की चाल निकाली। वह एक लकीर जमीन पर खींचकर बीरबल से बोले-“बीरबल! इस लकीर को बिना काटे छाँटे छोटी कर दो । बीरबल तो पूरा गुरु घण्टाल था ही, उस लकीर कोन घटाया और न बढ़ाया, बल्कि उसके पास ही अपनी उँगली से एक दूसरो लकीर उससे भी बड़ी खींचकर बोला-“लीजिये पृथिवीनाथ! अब आपकी लकीर इससे भी छोटी हो गई।” बादशाह बीरबल की बुद्धि से हार मान गया। ये भी जाने : दूध की जगह पानी | akbar birbal stories in hindi |