एक बार पर्वतों भरे जंगल में एक शिकारी रहा करता था एक दिन वह शिकार की तलाश में निकल पड़ा। चलते चलते एक पहाड़ पर भागता हुआ उसे एक सूअर दिखा जिसे मारने के लिए वह उसके पीछे भागा और अपने धनुष पर तीर चढ़ा कर उसे कान तक खिंच लिया और सूअर की और वार किया। सूअर को वह तीर जख्मी कर गया जिससे सूअर गुस्से में आकर शिकारी की तरफ भागा और अपने तीखे दांतो के वार से शिकारी को मार दिया और जख्मी सूअर भी दर्द के मारे मर गया।
तभी एक सियार वहां आता है जो सूअर और शिकारी को एक जगह मरे पड़े देख कर कहता है-
“आज तो मेरे भाग्य में बिना मेहनत के ही भोजन है निश्चय ही मैं इसे धीरे-धीरे खा कर अपने कईं दिन बताऊंगा।”
ऐसा विचार करके सियार उसे धीरे-धीरे खाने लगा और सूअर के पेट से तीर आर पर हो गया था जब उसे सूअर आधा खा लिया तो वह सोचता है कि यह मांस जल्दी ही सड़ जायेगा इसलिए मैं इसे थोड़ा ओर खा लेता हूँ। सियार उसे खाने के लिए आगे बढ़ता है कि ढोकर लगकर सूअर के ऊपर जा गिरता है और सूअर के पेट से आर पार तीर उसके गले से लेकर माथे तक आर पार हो जाता है। और वह उसकी मृत्यु का कारन बनता है।
शिक्षा
लालच हमेशा नुकसान का कारन बनता है।