एक बार जंगल में खरनखर नाम एक शेर रहा करता था। एक दिन गर्मी भरे दिन में बहुत मेहनत करने के बाद भी उसके हाथ कुछ नहीं लगा। श्याम होने पर जब वह भूख के मारे चल भी नहीं पा रहा था, तब उसको एक गुफा दिखाई दी। गुफा देखकर वह सोचने लगा, रात के समय इस गुफा का स्वामी जरूर आएगा उसे ही मैं अपना शिकार बनाकर अपनी भूख मिटाऊंगा। इसलिए जब तक वह आ नहीं जाता तब तक गुफा में ही चिप कर बैठ जाता हूँ।
शेर के कुछ देर इंतजार करने के बाद गुफा का स्वामी एक सियार आ गया। शेर के पैरों के निशान देख वह बहुत डर गया और सोचने लगा कि आज तो मैं नहीं बचूंगा। गुफा में मौजूद शेर अवश्य ही खा जायेगा। सियार ने सोचा कि शेर अंदर है या नहीं इसका पता कैसे लगाया जाये।
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अंत में उसे एक उपाय सुझा। उपाय के अनुसार उसने गुफा को आवाज लगाना शुरू कर दिया और कहने लगा – “हे गुफा क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ?” सियार ने इस प्रकार 2-3 बार कहा।
अंदर बैठे शेर सोचा कि अवश्य ही यह गुफा सियार के आते ही उसे खतरे के बारे में बता देती है। परन्तु आज मेरे डर से नहीं बोल रही इसलिए मै ही सियार को गुफा की आवाज में अंदर बुलाता हूँ शेर कहता है – “स्वामी अंदर आ जाओ यहाँ कोई खतरा नहीं।” यह सुनते ही सियार को विश्वाश हो गया कि अंदर तो शेर है।
शिक्षा
आने वाले संकट के समय जो व्यक्ति सही निर्णय लेता है वही सुख पता है