(सब्जी वाला और समझदार बुढ़िया )
एक बार एक गांव में श्याम नाम का व्यक्ति रहता था। वह गांव में सब्जी बेच कर अपना गुजरा करता था।
उसके पास सब्जी बेचने के लिए एक साईकिल थी वह साईकिल पर सुबह-सुबह पीछे बांध कर सब्जी बेचता था। गांव का हर एक घर उससे सब्जी लेता था। श्याम की सब प्रशंशा करते थे।
श्याम हर रोज सुबह-सुबह साईकिल पर सब्जी लेकर आता और जोर से आवाज लगाता।
आलू लेलो, गोभी लेलो, मटर लेलो, टमाटर लेलो।
सभी लोग घर से बहार निकल आते और अपनी मन पसंद की सब्जियां लेते और खुश हो जाते।
गांव बहुत ही बड़ा था लेकिन श्याम बहुत मेहनत करता था और पुरे गांव में सब्जियां बेचता था।
एक दिन हर रोज की तरह श्याम ने सब्जियां बेचने के लिए अपनी साईकिल पर सब्जियां बाँधी और साईकिल पर बेचने के लिए निकल पड़ा।
श्याम बड़े मजे से रास्ते में गाना गाते हुये जा रहा था।
कुछ देर बाद वह गांव में पहुँच जाता है और जोर से बोलता है-
“आलू लेलो, गोभी लेलो, मटर लेलो, टमाटर लेलो”।
श्याम ने देखा कि आज तो आवाज लगाने से कोई बहार नहीं आया और न ही किसी ने उसकी सब्जियां खरीदी
श्याम ने आगे जाकर फिर से आवाज लगाई पर फिर भी कोई बहार नहीं आया और न ही किसी ने सब्जियां ली।
श्याम बहुत परेशान हो गया। श्याम साईकिल पेड़ के निचे खड़ी करके वहीँ पर बैठ गया। थोड़ी ही देर बाद वहाँ से एक बूढ़ा आदमी गुजरा उस बूढ़े ने श्याम से पूछा-
“बेटा तुम क्यों परेशान हो”
श्याम बोला –
“आज आवाज लगाने से कोई भी घर से बाहर नहीं आया और न ही किसी ने सब्जियां खरीदी”
बूढ़े आदमी ने कहा-
“बेटा तुम्हारी सब्जियां आज इसलिए नहीं बिकी क्योंकि एक बूढी ओरत ने सुबह-सुबह आकर सब्जियां बेच दी”
श्याम ने मन ही मन में कहा-
“कल मै बहुत जल्दी आकर उस बुढ़िया से पहले सब्जियां बेच कर चला जाऊंगा”
ये कहकर श्याम घर चला गया और सुबह सुबह किसानों से सब्जियां लेने के लिए चला गया। श्याम किसानों से सब्जियां सस्ते दामों पर खरीद कर गांव में बेचता था।
अगले दिन श्याम बहुत ही जल्दी गांव में आकर देखता है कि एक बुढ़िया अपने सर पर टोकरी उढ़ाये सब्जियां बेच रही है।
श्याम गहरी सोच में डूब गया कि आखिर यह बुढ़िया इतनी जल्दी गांव में सब्जियां बेचने के लिए कैसे आ जाती है।
श्याम की आज भी सब्जियां नहीं बिकी। श्याम निराश होकर घर चला गया और श्याम ने दृढ़ निश्चय कर लिया कि कल वह बहुत ही जल्दी जाकर गांव में सब्जियां बेचेगा।
श्याम बिलकुल वैसा ही करता है श्याम ने बहुत ही मेहनत से साईकिल चलाई और गांव में पहुँच गया लेकिन आज भी बूढी महिला वहां सब्जिया बेच रही थी।
श्याम सोचने लगा कि यह बुढ़िया इतनी जल्दी कैसे आ जाती है। ऐसे में जब बुढ़िया गांव में सब्जियां बेच कर जा रही थी तब श्याम उसका पीछा करने लगा।
थोड़ी ही दूर जाने पर बूढी महिला ने श्याम को पीछा करते हुए देख लिया और श्याम से सवाल पूछने लगी –
“बेटा तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो”
श्याम जवाब देता है कि –
“तुम इतनी जल्दी सब्जियां बेचने कैसे आ जाती हो ? तुम्हारे पास तो साईकिल भी नहीं है”।
इसपर बूढी महिला कहती है कि –
“मैं अपनी जमीन में सब्जियां उगती हूँ जिससे किसानो के पास जाने का समय बच जाता है और मुझे बहुत अधिक मुनाफा होता है। अगर तुम भी ऐसा करोगे तो तुम भी अपनी सब्जियां जल्दी आकर बेच सकते हो”
श्याम ने बुढ़िया से कहा –
“मेरे पास तो जमीन ही नहीं है। मैं सब्जियां कैसे उगाऊँ” ?
बुढ़िया ने कहा –
“तुम अपने घर की आसपास की जमीन पर सब्जियां उगना शुरू कर दो”।
श्याम ने बिलकुल वैसा ही किया वह अपने घर के आसपास की जमीन पर सब्जियां उगाई। कुछ समय बाद सब्जियां बहुत ही अच्छी हुई। श्याम उन्हें बेचने के लिए गांव में चला गया।
जल्दी आने के कारण उसकी सारी सब्जियां बिक गयी और बहुत ही अच्छा मुनाफा हुआ।
कुछ समय बाद श्याम ने उगाई गई सब्जियों के पैसे से एक जमीन का टुकड़ा ले लिया और वहां सब्जिया उगने लगा।
सब्जियां बहुत ही अच्छी हुई और श्याम अब उन्हें बाजार में बेचने लगा। बाजार से वह बहुत अच्छे पैसे कमाने लगा।
अब श्याम ने शहर में सब्जियों की दुकान खोल ली और बहुत अच्छे पैसे कमाने लगा। श्याम बहुत बड़ा आदमी बन गया अब सभी लोग श्याम की ही दुकान से सब्जियां खरीदते हैं।