किसी राज्य में बरगद के बड़े से पेड़ में कौआ-कौई का जोड़ा रहता थे। उस पेड़ में एक काला सांप भी रहा करता था। कौई के बच्चों को हमेशा काला सांप खा जाता था। इससे दुखी होकर कौआ-कौई के जोड़े ने अपने परम मित्र सियार से सहायता मांगी और कहा –
“मित्र जिस पेड़ में हम रहते हैं उसमे एक नाग रहता है जो हर बार पेड़ के खोखले में से निकल कर हमारे सारे बच्चे खा जाता है ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए। ” किसी ने सही कहा है –
जिसका खेत नदी के किनारे हो, जिसके घर में सांप रहता हो, ऐसे में कोई कैसे सुखी रह सकता है।
मित्र इस प्रकार हमें उस पेड़ में रहते हुए प्राण जाने का डर बना रहता है।
इसपर सियार ने कहा –
“मित्रो तुम इतने कमजोर हो कि उस सांप को मार नहीं सकते। लेकिन अगर तरकीब लगाई जाये तो बड़े से बड़े शत्रु को हराना बहुत आसान हो जाता है।”
किसी ने ठीक ही कहा है –
“कमजोर से कमजोर के पास अगर तरकीब है तो वह बड़े से बड़े शूरवीर को हरा सकता है और तरकीब से शत्रु पर जो जीत मिलती है वैसे हथियारों से संभव नहीं।”
इस तरह सियार ने कौआ-कौई के जोड़े को तरकीब बताई। उसकी तरकीब के अनुसार वह एक नदी के किनारे जाते हैं। कौआ-कौई देखते हैं कि उस राज्य के राजा की राजकुमारियां वहां अपने गहने उतार कर पानी में खेल रही हैं तभी कौआ-कौई का जोडा गहने उड़ा कर ले जाते हैं और बरगद के पेड़ के खोल में डाल देते हैं।
यह देख राजकुमारियों के रक्षक कौआ-कौई के पीछे-पीछे चले आते हैं और पेड़ के खोल में गहने ढूंढ़ने लगते हैं। खोल में उन्हें गहनों के पास बैठा हुआ काला नाग दीखता है जिसे वो लाठी डंडो से पिट पिट कर मार डालते हैं।
परिणाम स्वरुप कौआ-कौई अब आसानी से अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं।
शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि शत्रु चाहे जितना भी ताकतवर क्यों न हो अगर तरकीब लगाई जाये तो उसे हराना बहुत आसान हो जाता है।