1.7 शेर, सियार, चीता, कौआ और ऊंट की कहानी (Panchatantra Stories)

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एक जंगल में मदोत्कट नाम का एक शेर रहता था उसके नौकर बाघ, चिता, कौआ, सीयार आदि पशु थे। एक दिन मदोत्कट नाम के शेर ने भटकते हुए एक ऊंट को देखा जो अपने झुण्ड से भटक गया था। 

 शेर ने सियार से पूछा-“यह कौन सा जिव है आजतक इस तरह का जीव हमने नहीं देखा।” 

सियार ने कहा –“महाराज ये बड़ा सा और लम्बी गर्दन वाला जीव ऊंट है यह आपका भोजन बन सकता है इसलिए आप इसपर हमला कीजिये और इसे अपना भोजन बनाइये।”

इसपर शेर ने कहा-“मुर्ख घर आने वाले को मैं कभी नहीं मरता सत्य ही कहा है कि-

बिना किसी डर के और विश्वाश करके घर आने वाले को जो भी मरता है उसे ब्राह्मण के मारने जितना पाप लगता है।”

इसलिए तुम उसे मेरे पास बुलाओ मैं उससे यहाँ आने का कारण पूछूंगा। सियार ने ऊंट को मदोत्कट शेर के पास बुलाया। शेर ने उससे यहाँ आने का कारण पूछा ऊंट ने अपने झुण्ड से भटकने का कारण बताया। 

शेर ने कहा अब तुझे गांव में जाकर बोझ ढ़ोने की जरुरत नहीं अब तू मेरे पास बिना किसी भय के रह और जंगल की हरी हरी को घास  मनचाह तरीके से खा। 

ऊंट ने शेर की बात मान ली और ऊंट शेर के पास ही रहने लगा। 

एक दिन मदोत्कट शेर की एक हाथी के साथ लड़ाई हो गई जिसमे शेर बहुत जख्मी हो गया शेर से अब चला भी नहीं जा रहा था। शेर को जख्मी हालत में कई दिन हो गए जिससे सियार, चिता, कौआ, बाघ आदि भूख के मारे तड़प रहे थे क्योंकि मदोत्कट ही उन्हें भोजन आदि देता था। 

सभी नौकर शेर से कहने लगे- 

“महाराज इस तरह तो हम सभी मर जायेंगे। कोई ऐसा उपाय कीजिये जिससे आप भी अपना पेट भर लें और हम भी।”

शेर ने कहा- 

“मैं ऐसी जख्मी हालत में कोई भी शिकार नहीं कर सकता इसलिए तुम कोई ऐसे जानवर को पकड़ कर लाओ जिससे मेरी भी भूख मिट जाये और तुम्हारी भी।”

शेर के सभी नौकर शिकार ढूंढ़ने के लिए चले गए। बहुत कोशिश करने के बाद भी उन्हें कोई ऐसा शिकार नहीं मिला जिसे वो अपना भोजन बना सकें। 

तभी सियार कौए से कहता है-

 “इतनी मेहनत करने के बाद भी हमें कोई शिकार नहीं मिला क्यों न हम अपने महाराज से इस ऊंट को अपना शिकार बनाने की बात कहें।”

कौए ने कहा –

“तुम सही कहते हो हमें महाराज से इस सन्दर्भ में बात करनी चाहिए क्योंकि यही एक ऐसा जीव है जो हम सबकी भूख मिटा सकता है।”

सियार मदोत्कट शेर के पास जाकर कहता है –

“महाराज हमें कोई शिकार नहीं मिला इसलिए हमें उस ऊंट को अपना शिकार बनाना चाहिए क्योंकि वही हमारी भूख मिटा सकता है।” 

इसपर मदोत्कट शेर को बहुत गुस्सा आ जाता है कहता है –

“अरे मुर्ख अभयदान दिए हुए प्राणी को मैं कैसे मार सकता हूँ। “

इसपर सियार कहता है –

“महाराज अगर अभय दान दिए हुए प्राणी को आप दोखे से मारते हो तो पाप लगता है पर लेकिन वह प्राणी खुद आकर आपसे कहे की मुझे अपना शिकार बना लो तो अभयदान दिए हुए को अपने कुल को बचाने के लिए अपना शिकार बनाना चाहिए।

शेर न कहा-

 “जैसा तुम्हे उचित लगे वैसे ही करो। “

सियार और अन्य साथियों ने एक षड्यंत्र रचा जिससे वह खुद शेर को अपना बलिदान दे दे। 

अगले दिन सभी शेर के पास इकट्ठे हो गए और सियार कहने लगा- 

“महाराज आप मुझे खा लीजिये जिससे आपकी और सभी भूख मिट जाये।”

इसपर शेर कहता है –

“अरे मुर्ख तू कुत्तों की प्रजाति वाला है वाला है इसलिए मैं तुम्हे नहीं खा सकता।”

इसके बाद चिता कहता है –

“तू पीछे हट मुझे मालिक को अपना बलिदान देने दो।” 

शेर कहता है-

“तू छोटे शरीर वाला है इसलिए तुझसे हम सब की तृप्ति तो क्या मेरी तृप्ति भी नहीं होगी।”

कौआ कहता है –

“मुझे मालिक को अपनी जान देने दो जिससे मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सके।”

मदोत्कट कहता है-

“तुम्हे अपना शिकार बना कर क्या फायदा तुम तो इतने छोटे शरीर वाले हो।”

ऊंट सोचता है कि सभी ने मालिक को अपना बलिदान देने के लिए कहा पर मालिक ने किसी को भी अपना भोजन नहीं बनाया इसलिए मैं भी मालिक से अपना बलिदान देने के लिए कहता हूँ। 

ऊंट कहता है –

“मालिक आप मुझे अपना भोजन बना लीजिये मेरे बलिदान से आप सबका पेट भर जायेगा और सबकी जान बच जाएगी। ” 

बस ऊंट के इतना कहते ही सियार और चीते ने उसका गला दबोच लिया और मार दिया और सभी ने आनद से अपना भोजन किया।  

शिक्षा 

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अविश्वासी लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 

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