एक तालाब में तीन मछलियाँ अपने परिवार सहित ख़ुशी-ख़ुशी रहती थी। तीनो मछलियों के पूर्वज भी उसी तालाब में रहा करते थे। एक दिन कुछ मछुआरे श्याम के समय मछलियां मार कर उस तालाब के पास से गुजरे और तालाब की ओर देखने लगे उस तालाब में बहुत सी अन्य मछलियां भी रहती थी, मछुआरों ने उन्हें देख कर कहा –
“मित्र! यह तालाब मछलियों का भरा पड़ा है इसलिए हम कल का भोजन इसी तालाब से पकड़ेंगे।”
तीनो मछलियों ने यह बात सुन ली सुनते जैसे उनके ऊपर आसमान से बिजली टूट कर गिर पड़ी और कहने लगी –
“क्या तुमने मछुआरों की बात सुनी, वह कल हमारे तालाब से मछलियां मार कर ले जायेंगे जिससे हमारा नमो निशान मिट जायेगा।”
तीनो में से एक मछली ने सलाह बनाई कि हम इस तालाब से दूसरे तालाब में अपने परिवार के साथ चलीं जाएँगी और उसने जाकर अपनी दोनों मित्र मझलियों से यह बात कही। उनमे से एक मछली ने उस मझली की बात मान ली पर एक ने कहा-
“तुम बिलकुल गलत कह रही हो हमें अपने पूर्वज के पुश्तैनी घर को छोड़कर नहीं जाना चाहिए और अगर हमारी मृत्यु ही नजदीक आ रही है तो दूसरे तालाब में जाने से भी हम नहीं बचेंगी।”
दोनों मछलियां अपने परिवार के साथ दूसरे तालाब में चलीं जाती है लेकिन एक मछली उनके साथ नहीं जाती।
अगले दिन मछुआरे आकर उस तालाब को उस मछली सहित खाली कर देते हैं और उन दोनों मछलियों की दूसरे तालाब में जाने से जान बच जाती है।
शिक्षा
शुभ अथवा अशुभ, किसी भी उपाय से संकट में पड़ी अपनी जान बचानी चाहिए, और जान बचने के बाद ही धर्म के बारे में सोचना चाहिए।