एक बार जंगल में महाचतुरक नाम का एक सियार रहा करता था। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था कि उसकी दृस्टि एक मरे हुए हाथी पर पड़ी। मरे हुए हाथी को देख वह उसके चरों तरफ चकर लगाकर यह सोचने लगा कि आखिर इसकी सख्त चमड़ी कैसे फाड़ी जाये। सियार बहुत कोशिश करने के बाद भी उसकी सख्त चमड़ी को फाड़ नहीं पाया।
तभी उसे एक शेर अपनी तरफ आता हुआ दिखाई दिया। सियार सोचने लगा कि किस प्रकार शेर को यहाँ से भगाया जाये। सियार के मन में यह भी ख्याल आता है कि शेर को अपनी ताकत से तो नहीं भगाया जा सकता इसलिए इसे नम्रता से ही संभालना होगा।
जब शेर मरे हुए हाथी के पास बैठे सियार के पास पहुंचा तो सियार नम्र होकर उसके चरणों में गिर गया और कहने लगा -“महाराज मैंने इस मरे हुए हाथी की आपके लिए रक्षा की है ताकि इसे कोई खा न जाये। शेर ने खुश होकर कहा- “ठीक है परन्तु मैं किसी दूसरे द्वारा मारे गए जिव को नहीं खाता इसलिए तू इसे दान में रख ले।”
यह कहकर शेर वहां से चला गया और सियार की जान बच गई। शेर के बाद वहां बाघ आ जाता है। सियार सोचता है कि अभी तो शेर से हाथ जोड़कर जान छुटाई थी। अब इससे कैसे भगाऊं। सियार ने सोचा कि बाघ के साथ भेद-निति का प्रयोग करता हूँ।
बाघ उसके पास आया और सियार सीना फुला कर, कंधे चौड़े करके उसके सामने आया और कहने लगा – “अरे बाघ तूने यहाँ आकर गलती कर दी है मुझे मेरे मालिक शेर ने इस हाथी की रक्षा के लिए यहाँ बिठाया है। पिछली बार जब उन्होंने शिकार किया था तब एक बाघ ने उनका शिकार झूठा कर दिया था। जिससे उन्होंने बाघों को इस जगल से खत्म करने का प्रण लिया है अगर उनको पता चल गया कि कोई बाघ यहाँ आया था तो वह तुम्हे नहीं छोड़ेंगे।”
बाघ बहुत डर गया और सियार से कहने लगा – ” मित्र तुम मेरे जाने के बहुत देर बाद तक भी उसे मेरे बारे में न बताना नहीं तो मुझे मार देगा” इस तरह सियार की होश्यिरी से बाघ भी भाग गया।
बाघ के जाने पर एक चीता वहां आ जाता है। सियार सोचता है कि चीते के दांत बहुत तीखें है इसलिए मैं इससे इस हाथी की सख्त चमड़ी को फड़वा लेता हूँ। यह सोच सियार पास आये चीते से कहता है -“क्या बात भाई बहुत दिन बाद दिखाई दिए हो ? तुम मेरे अतिथि समान हो इसलिए कुछ खाकर जाना। यह मेरे स्वामी शेर द्वारा मारा गया हाथी है वह स्नान करने नदी पर गए हैं इसलिए तुम जल्दी से इसमें से कुछ मांस खा लो।
चिता अपनी तारीफ जान सियार से कहता है – “मित्र पर शेर को दूर से देख मुझे संकेत कर देना जिससे मैं भाग जाऊं।” सियार उसकी बात मानकर दूर खड़ा हो जाता है। जब चिता उसमे से कुछ मांस ही खाता है तब सियार जोर से आवाज लगाता है- “मित्र स्वामी आ रहा है तुम भाग जाओ। चीता शेर के डर से भाग खड़ा हुआ।
सियार मजे से चीते द्वारा उधेड़े हुए चमड़े के अंदर से मांस खाने लगा उसे कुछ देर ही हुयी थी। कि एक दूसरा सियार वहां आ गया। वह सियार के समान ही शक्ति वाला था इसलिए हाथी खा रहे सियार ने उसे डरा कर दूर तक भगा दिया। इसके बाद उसने जी भरकर हाथी का मांस खाया।
शिक्षा
बलवान शत्रु को वनम्रता से, बहादुर को भेद से, नीच को दे ले कर और अपने समान शक्ति वाले को पराक्रम से वश में करना चाहिए जैसे सियार ने किया।