एक नजर में शिक्षक दिवस
विश्व के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरुओं) को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। कुछ देशों में छुट्टी रहती है जबकि कुछ देश इस दिन कार्य करते हुए मनाते हैं।
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अलग-अलग तारीख पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को हुआ शिक्षक दिवस के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें।
शिक्षक कभी साधारण नहीं होता. प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते है ।
जो गुरु शिष्य को एक अक्षर का भी ज्ञान देता है, उसके ऋण से मुक्त होने के लिए, उसे देने योग्य पृथ्वी में कोई पदार्थ नहीं है।
मैं जीने के लिए अपने पिता का ऋणी हूँ, पर अच्छे से जीने के लिए अपने गुरु का।
जन्म देने वालों से अच्छी शिक्षा देने वालों को अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने तो बस जन्म दिया है, पर उन्होंने जीना सीखाया है।
प्रेम कर्तव्य से बेहतर शिक्षक है।
एक सच्चा शिक्षक अपने छात्रों को अपने व्यक्तिगत प्रभावों से बचाता है।
एक सच्चा शिक्षक अपने छात्रों को अपने व्यक्तिगत प्रभावों से बचाता है।
शिक्षक अर्थात गुरु के व्यक्तिगत जीवन के बिना कोई शिक्षा नहीं हो सकती।
यह भी जाने: शिक्षा पर बेहतरीन नारे
यह भी जाने: शिक्षक दिवस पर बेहतरीन स्लोगन
गुरु एक ऐसी चाबी है जिससे हर सपने के ताले को खोला जा सकता है।
चाहे जितना भी ज्ञान अर्जित कर लो, गुरु बिना सब अधूरा है।
किताबें हमें बता सकती हैं लेकिन सिखाने का काम गुरु ही करता है।
गुरु का अपमान करना, माता-पिता और ईश्वर का अपमान करने से अधिक पाप देने वाला काम है।
कुछ भी सिखने के लिए गुरु आवश्यक है।
गुरु का स्थान माता-पिता से ऊँचा होता है।
गुरु कभी अपने शिष्यों का बुरा नहीं चाहता।
गुरु को दिए के समान माना जा सकता है, जिस प्रकार दीया खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देता है, गुरु भी यही कार्य करता है।
जो व्यक्ति अज्ञान के अंधेरे में ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न कर दे वही गुरु है।
गुरु की डांट पिता के प्यार से अच्छी होती है।
एक अच्छा गुरु मिलना,अच्छा भविष्य मिलने के समान है।
अच्छा गुरु सौभाग्य से प्राप्त होता है।
गुरु ही हमारे हर प्रश्न का उत्तर है।
जिसके पास गुरु रूपी अनमोल रत्न नहीं वह हर प्रकार के सुख से वंचित रह जाता है।
गुरु का ज्ञान उस पवित्र जल के समान है जो शिष्य के कीचड़ समान अज्ञान को धो कर साफ कर देता है।
गुरु कुम्हार है और शिष्य घड़ा है। गुरु ही हैं जो भीतर से हाथ का सहारा देकर, बाहर से चोट मार-मारकर और गढ़-गढ़ कर शिष्य की बुराई को निकालते हैं।
सारी पृथ्वी को कागज और जंगल को कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते।