भगत सिंह के बारे में एक नजर में
जन्मस्थल : | 28 सितम्बर 1907 गाँव बंगा, जिला लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
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वीरगति: | 23 मार्च 1931 |
प्रमुख संगठन: | नौजवान भारत सभा, हिंदुस्तान सोशलिस्ट |
आन्दोलन: | भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम |
Bhagat Singh Quotes in Hindi
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देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
भगत सिंह
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मुसीबतें इंसान को पूर्ण बनाने का काम करती हैं, हर स्थिति में धैर्य बनाकर रखें।
भगत सिंह
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मेरे सीने पर जो जख्म हैं, वो सब फूलों के गुच्छे हैं, हमको पागल रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।
भगत सिंह
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जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
भगत सिंह
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‘मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।’
भगत सिंह
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मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी’हूँ’
भगत सिंह
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जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता
भगत सिंह
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‘क्रांति मनुष्य का जन्म सिद्ध आधिकार है साथ ही आजादी भी जन्म सिद्ध अधिकार है और परिश्रम समाज का वास्तव में वहन करता है।’
भगत सिंह
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‘मेरे जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है और वो है देश की आज़ादी. इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे लुभा नहीं सकता’
भगत सिंह
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अगर अपने दुश्मन से बहस करनी है और उससे जीतना है तो इसके लिए अभ्यास करना जरूरी है।
भगत सिंह
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‘आज जो मै आगाज लिख रहा हूँ, उसका अंजाम कल आएगा. मेरे खून का एक एक कतरा कभी तो इन्कलाब लाएगा।’
भगत सिंह
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जन संघर्ष के लिए, अहिंसा आवश्यक हैं।
भगत सिंह
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महान आवश्यकता के समय, हिंसा अनिवार्य हैं।
भगत सिंह
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व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते
भगत सिंह
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क्रांति की तलवार तो सिर्फ विचारों की शान से तेज होती है।
भगत सिंह
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मैं उस सर्वशक्तिमान सर्वोच्च ईश्वर के अस्तित्व से इनकार करता हूं।
भगत सिंह
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वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, मेरी आत्मा को नहीं।
भगत सिंह
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अगर हमें सरकार बनाने का मौका मिलेगा तो किसी के पास प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं होगी, सबको काम मिलेगा। और धर्म व्यक्तिगत विश्वास की चीज होगी, सामूहिक नहीं।
भगत सिंह
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यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमनें असेंबली में बम गिराया था तो हमारा मकसद किसी को मारना नहीं था। हमनें अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था।
भगत सिंह
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निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।
भगत सिंह
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जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी।
भगत सिंह
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जरूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।
भगत सिंह
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किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।
भगत सिंह
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राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
भगत सिंह
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यदि हमारे नौजवान इसी प्रकार प्रयत्न करते जाएंगे, तब जाकर एक साल में स्वराज्य तो नहीं, किंतु भारी कुर्बानी और त्याग की कठिन परीक्षा में से गुजरने के बाद वे अवश्य विजयी होंगे ।
भगत सिंह
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जेलों की अंधकारपूर्ण छोटी कोठरियों में पुल-घुलकर निकृष्टतम दरजे के अत्याचार को सहन भी कर सकते हैं ।
भगत सिंह
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मुझे आज तक अपने आप पर बहुत नाज है । मुझमें अब कोई ख्वाहिश बाकी नहीं है । अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इम्तहां का इंतजार है । आरजू है कि यह और करीब हो जाए ।
भगत सिंह
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हंसते-हंसते फांसी पाने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी
भगत सिंह
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जैसे पुराना कपड़ा उतारकर नया बदला जाता है, वैसे ही मृत्यु है । मैं उससे डरूंगा नहीं, भागूंगा नहीं ।
भगत सिंह
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यह मृत्यु सुंदर होगी, परंतु आत्महत्या करना, केवल कुछ दुखों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देना तो कायरता है ।
भगत सिंह
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अब मुझे इस संसार से वैसे ही विदा होना जाने दो जैसा मैं हूं ।
भगत सिंह
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मेरा जीवन एक महान लक्ष्य के प्रति समर्पित है – देश की आज़ादी।
भगत सिंह
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इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है।
भगत सिंह
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महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।
भगत सिंह
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हमारा लक्ष्य शासन शक्ति को उन हाथों के सुपुर्द करना है, जिनका लक्ष्य समाजवाद हो
भगत सिंह
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मुझमें अब कोई ख्वाहिश बाकी नहीं है । अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इम्तहां का इंतजार है ।
भगत सिंह
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मौत आएगी, आएगी ही पर मैं अपनी मौत को इतनी महंगी और भारी बना दूंगा कि ब्रिटिश सरकार रेत के ढेर की तरह उसके बोझ से ढक जाए ।
भगत सिंह
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आपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाती हैं ।
भगत सिंह
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क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है – बेरहम निंदा तथा स्वतंत्र सोच।
भगत सिंह
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कानून की पवित्रता तभी बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करें।
भगत सिंह
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बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
भगत सिंह
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अगर धर्म को अलग कर दिया जाए तो राजनीति पर हम सब इकठ्ठे हो सकते है. धर्मों में हम चाहे अलग अलग ही रहें.
भगत सिंह
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जब हमने असेम्बली में बम गिराया तो हमारा मकसद किसी को मारना नहीं था हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था।
भगत सिंह