हैलो दोस्तो इस आर्टिकल मे मैं आपको कुछ एसे लोगों की motivational success stories प्रोवाइड करवाने जा रहा हूँ जिनको पढ़कर आप आश्चर्य मे रह जाएंगे ओर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि इतने साधारण इंसान भी अपनी मेहनत के दम पर इतने सफल और पोपुलर हो सकते हैं ।
लेकिन इस सब के पीछे उनकी मेहनत के साथ साथ हार न मनाने कि आदत भी है। इसे आदत कहें या आपकी जिद यह सोच आपके उपर डेपेंड करती है लेकिन हम कह सकते हैं जिसने भी यह आदत या कहें तो जिद रखी वही अपनी जिंदगी मे सफल हुआ। कोई भी सिर्फ पहली बार मे ही success नहीं हुआ। success होने के लिए खून पसीने की मेहनत, गलतियों से सीख लेने के साथ साथ सही दिशा मे आगे बढ़ाने की जरूरत होती है।
मैं यकीन के साथ इतना तो कह सकता हूँ कि आप इन कहानियों को पढ़कर motivate जरूर हो जायेंगे और अपने लक्ष्य को पाने के लिए जी जान से जुट जाएंगे। तो आइए जानते हैं इन लोगों कि सफलता की कहानियाँ (motivational success stories in hindi)।
प्रेरक करने वाली सफलता की कहानियाँ (motivational success stories in Hindi)
अपने प्रोफेसन को ढूंढो (motivational success stories in Hindi)
दोस्तो यह कहानी एक एसे व्यक्ति की है जिसकी success story को पढ़कर आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि अगर ये इंसान इतना कुछ कर सकता है तो मैं क्यों नहीं आखिर वो इंसान भी तो मेरे जैसा साधारण इंसान ही था जो अपनी मेहनत के दम पर इतना कामयाब इंसान बन गया है।
खैर उस इंसान का नाम तो मैं आपको स्टोरी के लास्ट मे बताऊंगा और आपका कम समय लेते हुये स्टोरी को थोड़ा शॉर्ट मे बताऊंगा।
यह इंसान दिल्ली मे एक मिडल क्लास फेमिली से बिलोंग करता था और किराए के एक छोटे से दो कमरे के मकान मे रहता था। उनके पिता जी का एक एलुमिनियम का बीजनेस्स था। जब वह बहुत ही कम उम्र के थे तब अपने आस पास साइकिल चलाते हुये अपनी उम्र के बच्चों को देख कर अपने पापा से साइकिल कि मांग करने लगे।
पर पिता जी ने कहा कि मैं कोई टाटा या बिरला नहीं हूँ जो तुम्हारी हर इच्छा को पूरा करूँ। तभी वह बच्चा अपनी माता जी के पास जाकर बोला माँ ये टाटा बिरला क्या है माँ ने कहा ये सब वह इंसान है जिनके पास बहुत पैसा है।
बस उसी दिन से उस बच्चे ने ठान लिया कि मुझे टाटा और बिरला की तरह बनाना है। लेकिन जब वे 14-15 साल के थे तब उनके पिता जी का किसी कारण से एलुमिनियम का बीजनेस्स बंद हो गया। वह बहुत मुसीबत मे आ गए और चिंता मे रहने लगे।
लड़के ने सोचा कि अब मुझे भी कुछ करना चाहिए। इसी सोच के साथ उसने hhtp pco चलाया लेकिन थोड़े समय बाद वह भी फ़ेल हो गया। बहुत से कॉल सेंटर मे नोकरी के लिए इंटरव्यू दिये लेकिन सफल न हो पाये। वह हर तरफ हार का मुंह देख रहे थे। इसी कारण वो एक समीनार मे गए 3 घंटे का पूरा उनके सिर के उपर से गया।
लेकिन लास्ट मे जब एक 21 साल के लड़के ने बताया कि वह सिर्फ एक महीने मे ढाई लाख रुपए कमाता है। तो उन्हे बहुत बड़ा छटका लगा। उनके मन मे विचार आया कि अगर ये लड़का सिर्फ एक महीने मे ढाई लाख रुपए कमाता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता।
अब ये पॉइंट उस लड़के की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट था। अब उन्होने अपने पप्रोफेसन को ढूंढा। उनकी रुचि मॉडलिंग ओर फोटोग्राफी मे थी। उन्होने मॉडलिंग का एक कोर्स किया। उन्होने कॉलेज लेवल पर मॉडलिंग शुरू की पर ज्यादा कामयाबी हाथ न लगी। क्योंकि मॉडलिंग मे बहुत अधिक कोंपटीशन था। इसलिए उन्होने मॉडलस के सहायता करने की ठानी और मैश औडियो विज्वल नाम की एक कंपनी खोली। इसमे भी उनको ज्यादा कामयाबी नहीं मिली और वे फ़ेल हो गए।
अब उन्होने अपने दूसरे प्रोफेशन की शुरुआत की और फोटोग्राफी सीखि और सिर्फ दस घंटे मे 100 मॉडल की 10,000 फोटो क्लिक की और विश्व रिकोर्ड बना डाला। इस रिकोर्ड से उनको बहुत प्रसिद्धि मिली।
2006 मे उन्होने अपनी एक वाबसाइट imagesbazaar.com बनाई। शुरुआत मे तो इस वाबसाइट पर बहुत ही कम फोटो और थोड़े बहुत फॉटोग्राफर थे। लेकिन आज इस वाबसाइट पर विश्व के सबसे ज्यादा भारतीय इमेज हैं। यह वाबसाईट करोड़ों रुपये कमाती है।
यहाँ तक भी यह रुके नहीं और अपने जीवन के अनुभव दूसरों को बताते हैं और मोटीवेट करते हैं शायद आप उनको पहचान गए होंगे उनका नाम है संदीप महेश्वरी। अच्छी बात यह है कि संदीप महेश्वरी अपने सभी सेमिनार मुफ्त मे करते हैं।
क्या आप इस कहानी से मोटीवेट हुये अगर हाँ तो हमे बताएं और इसी प्रकार की कहानियों के लिए मेरा facebook page भी लाइक करें।
यह भी जाने- स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार
मेहनती बनो (business motivational success stories in hindi)
विश्वास के साथ कार्य करने मे सफलता मिलती है। (ias motivational success stories in hindi)
दोस्तो तीसरी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगी जो किसी न किसी परीक्षा की तयारी कर रहे हैं। तो आइए कहानी शुरू करते हैं। वरुण नाम का एक लड़का जो पढ़ने मे अच्छा था। पापा की साइकिल रिपेयर की दुकान थी और वे चाहते थे कि वरुण बड़ा होकर डोक्टर बने। इसी कारण वह दुकान मे बहुत अधिक महनत कर रहे थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था। समय के साथ वरुण 10वीं कक्षा मे हो गया।
दसवीं की परीक्षाएँ आई वरुण ने सभी परीक्षाएँ बहुत ही अच्छी दी। लेकिन परीक्षाएँ देने के कुछ समय बाद उनके पिता की हार्ट अटेक के कारण मृत्यु हो गयी। जिस कारण वरुण को अपने पापा की दुकान घर का खर्च निकालने के लिए संभालनी पड़ी साथ ही हॉस्पिटल मे पापा के इलाज मे लगे पैसों का कर्ज भी बहुत था। इसलिए वरुण दुकान पर दिन रात मेहनत करते थे।
आखिरकार दसवीं का रिजल्ट आया और वरुण अपने शहर मे सेकेंड नंबर पर आए। इस कारण उनकी माँ ने वरुण को आगे पढ़ाने का संकल्प लिया और खुद दुकान संभालने लगी। लेकिन वरुण को जब पता चला कि स्कूल कि फीस दस हजार रुपये है तो उन्होने फिर से पढ़ने से मना कर दिया। कुछ दिनो बाद एक डोक्टर वरुण को मिलने आए। ये वही डोक्टर थे जिन्होने वरुण के पापा के इलाज किया था। वरुण ने उन्हे बताया कि उनके पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं हैं जबकि वह अपने शहर मे दूसरे नंबर पर आए हैं।
तभी डोक्टर ने वरुण कि हेल्प करने का फैसला किया। वरुण कि फीस जमा हो गयी जिससे वह अब आगे पढ़ सकते थे लेकिन स्कूल की हर महीने की फीस 650 रुपये थी। जो वरुण के लिए बहुत ही ज्यादा थी इसलिए वह पढ़ने के साथ साथ अपने पापा की दुकान पर काम भी किया करते थे। वह सुबह जल्दी उठ जाते और स्कूल से वापिस आकार दुकान पर काम करते और दुकान का काम हो जाने के बाद रात को तब तक पढ़ते थे कि जब तक थक न जाएँ।
इतनी ज्यादा मेहनत के बाद आखिरकार उन्होने अपना स्कूल पूरा कर लिया। अब वह मेडिकल कॉलेज मे एडमिशन लेना चाहते थे पर फीस ज्यादा होने के कारण वह एडमिशन न ले पाये। अब उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी आगे के पढ़ाई जारी रख पाये इसलिए उन्होने अपनी खाली पड़ी जमीन जो कि बहुत कम थी वह बेच डाली और इंजीनियर कॉलेज मे एडमिशन ले लिया इससे वह सिर्फ पहले साल की ही फीस दे पाये थे।
अब उन्होने बहुत ज्यादा मेहनत की और पहले सेमेस्टर मे टॉप किया। 2012 मे उन्होने इंजीनियर कॉलेज कंप्लीट कर लिया और डलॉइट जॉइन करने से पहले उनके पास 6 महीने का समय था। जिसमे उन्होने upsc एक्जाम की तयारी करने का निर्णय लिया। साथ ही साथ वह पढ़ाते भी थे।
जिससे उन्हे एक्जाम की तयारी करने मे बहुत मदद मिली। आखिरकार इतनी कड़ी मेहनत और इस विश्वास के साथ कि मुझे जिंदगी मे कुछ करना है उन्होने 2014 मे upsc का एक्जाम क्लियर कर दिया और पूरे इंडिया मे 34वा रैंक प्राप्त किया। तो देखा आपने अगर आपके होसले बुलंद हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता और हाँ यह वरुण नाम का लड़का वरुण बरनवाल हैं जो महाराष्ट्र के पालघर के एक छोटे से गाँव से हैं।
यह भी जाने- पंचतंत्र की कहानियाँ