ओशो जीवन परिचय एक नजर में
ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, 11 दिसम्बर 1931 – 19 जनवरी 1990), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। 1960 के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी,और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलोचक रहे। उन्होंने मानव कामुकता के प्रति एक ज्यादा खुले रवैया की वकालत की, जिसके कारण वे भारत तथा पश्चिमी देशों में भी आलोचना के पात्र रहे, हालाँकि बाद में उनका यह दृष्टिकोण अधिक स्वीकार्य हो गया।
एक नजर में ओशो
पूरा नाम | चंद्र मोहन जैन |
जन्म | 11 दिसंबर 1931 |
जन्म स्थान | कुचवाडा जिला, बरेली तहसील, रायसेन जिला भोपाल राज, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय काम | प्रवचन |
निधन | 19 जनवरी 1990 (आयु 58) पुणे, महाराष्ट्र, भारत |
Osho thoughts in Hindi
मनुष्य की एक ही समस्या है कि मैं क्यों हूँ और एक ही समाधान है कि इसका उत्तर मिल जाये
ज्यादा से ज्यादा चुप रहना उचित है, उतना ही बोलो जितना अत्यंत आवश्यक हो।
जहाँ व्यक्ति का डरना समाप्त हो जाता है वही से वास्तविक जीवन शुरू होता है।
लोग जितना कम जानते हैं उतना ही मजबूती से जानते हैं
जिसने करुणा को जगा लिया उसने सब पा लिया
सत्य सबका एक ही है झूठ सबके अलग अलग
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प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर यही सोचता रहता है कि वही सही है बाकी सब गलत
जब प्यार और नफरत न हो तो हर चीज स्पष्ट हो जाती है ।
अगर ज्ञान पाना है तो श्रम के साथ साथ शक्ति और सहस की आवश्यक्ता होती है ।
सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है.
मोह के बिना दुःख होता ही नहीं,
जब भी दुःख होता है, मोह से होता है।
तारों को देखने के लिए भी
अँधेरे की आवश्यकता होती है।
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खुशियों के लिए साधन की नहीं, संतोष की जरूरत होती है।
कल पर विजय पाने के लिए मौन से बड़ा कोई शस्त्र नहीं है।
सत्य का पहला स्वागत विरोध से होता है।
तनाव का अर्थ है कि आप कुछ और होना चाहते है। जो की आप नहीं है।
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जीवन जुआ है, केवल जुआरी ही जीवन को जान सकता है।
भय हमेशा भविष्य के लिए होता है। भय कभी वर्तमान में नहीं होता।
दर्द से बचने वाले, आनंद से भी बच जाते है। मृत्यु से बचने वाले, वे जीवन से भी बच जाते हैं।
आप वही बन जाते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं।”
कोई तुम्हे भय से मुक्त नहीं कर सकता
कोई कर सकता है तो वो स्वयं तुम हो ।
अगर तुमने मनुष्य होने का लाभ नहीं उठाया
तो तुम मनुष्य होने का हक़ खो देते हो।
अभी इस वक्त जो समय चल रहा हैं, वह आपके लिए सर्वश्रेष्ट हैं.
जिस क्षण आप खुद को स्वीकार करते हो, उसी क्षण आप सबसे सुन्दर हो जाते हैं।
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प्यार आध्यात्मिक है, अहंकार मनोवैज्ञानिक है और वासना भौतिक है।
कोई आदमी चाहे लाखों किताबें और वेद पढ़ ले । चाहे वह पूरे संसार को जान ले । लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तब तक वह अज्ञानी है।