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नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको ऐसी funny stories बताने जा रहा हूँ जिसे आप पढ़कर बहुत हंसोगे। इनमे से कुछ कहानियां तो मेरी हैं मतलब मेरे साथ बीती हुई हैं और कुछ मैंने सुनी है। अगर आपके पास भी इनसे अलग कोई कहानी है तो आप मुझे कॉन्टेक्ट करें आपकी फोटो के साथ मैं उस कहानी को इन कहानियों में शामिल करूँगा। तो चलिए पढ़ते हैं hindi funny stories
पहली funny story है एक किसान की
एक समय की बात है एक गांव में एक किसान रहा करता था। वह बहुत मेहनती था। वह अपना घर अपनी खेती से फसल ऊगा कर चलाता था। खुशकिस्मत से उसका एक लड़का भी था परन्तु वह किसी अपराध के कारन कारागार में था। समय चलता चला गया और एक समय ऐसा आया कि वह किसान बूढ़ा हो गया और अपना घर चलने के लिए खेती बाड़ी नहीं कर पा रहा था सबसे बड़ी मुसीबत यह थी कि वह खेतों में हल नहीं जोत पा रहा था।
इसलिए वह सोच में पड़ गया कि अब अपने घर का खर्चा कैसे निकला जाये। इसी चिंता में उसने अपने बेटे को एक चिठ्ठी लिखी अभी उसके जेल से झुटने के 6 महीने बाकि थे। किसान ने उसे चिठ्ठी में लिखा कि अब वह हल जोतने में असमर्थ है।
इसी पर उसके बेटे ने उस चिठ्ठी में अपने पिता को एक सलाह लिखकर भेजा उसमे लिखा था कि “पिता जी आप पुलिस को एक चिठ्ठी लिखो और उसमे बताओ कि हमारे खेत में बारूद छिपा है” किसान ने वैसा ही किया पुलिस को चिठ्ठी लिखी और पुलिस झट से उनके खेत में आकर छानबीन करने लगी। इसी छानबीन के दौरान उन्होंने सारे खेत को खोद डाला खेत ऐसा हो गया था जैसे अभी अभी जोता गया हो। बस किसान ने उसमे ख़ुशी खुशी बीज बोया और फसल उगाई।
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दूसरी funny story एक टीवी ऐड की है
यह कहानी मैंने quora प्लेटफॉर्म पर पढ़ी थी और मुझे यह कहानी पढ़कर बहुत हंसी आयी थी तो मैंने सोचा आपको भी यह कहानी बताऊं यह कहानी quora पर विनोद नेगी नाम के व्यक्ति ने एक प्रश्न के उत्तर के रूप बताई थी। प्रश्न इस प्रकार है कि क्या आप अपने साथ हुई कोई ऐसी घटना को शेयर करना चाहेंगे जो किसी के चहरे पर हंसी ला दे ? उन्होंने उत्तर इस प्रकार दिया। बहुत दिन बाद गांव जाना हुआ तो अपने बचपन के अतरंग दोस्त सुदामा की याद आई अभी हाल ही में उसकी दूसरी शादी हुई थी पहली वाली बीमारी के चलते स्वर्ग सिधार गई और पीछे एक बालक छोड़ गई थी तो शादी में शरीक होने का तो मौका नहीं मिला तो सोचा क्यों ना घर जाकर उसको मिला जाए और शुभकामनाएं दी जाए।
इतवार दोपहरी उसके घर पहुंचते ही उसकी माताजी से सामना हुआ साथ में उसकी पहली बीवी से नन्हा बालक उद्धव भी था।
आदर सत्कार के बाद घर के ड्राइंग रूम में पधारना हुआ कुछ समय बाद नवेली भाभी हाथ में चाय की ट्रे लेकर पधारी मालूम चला कि सुदामा किसी काम से रिश्तेदारी में जा रखा है चाय की चुस्कीओं के बीच और सुदामा की अम्मा से बात करते हुए समय काटने की कोशिश कर ही रहा था की अचानक सुदामा के लड़के उद्धव ने टीवी देखने की जिद मचा दी और नई नवेली मम्मी ने टीवी का बटन ऑन ही किया था कि सामने स्क्रीन पर सनी लियोनी का चॉकलेट कंडोम वाला विज्ञापन प्रसारित हो रहा था।
विज्ञापन देखते ही बालक उद्धव दहाड़े मारकर दादी से लिपटकर जोर जोर से रोकर कहने लगा अम्मा हमें तो यही चॉकलेट चाहिए अभी चाहिए
नई नवेली मम्मी रिमोट को जितना चैनल चेंज करने के लिए दबाती वह पुराना रिमोट साउंड मीटर और तेज कर देता वह बेचारी शरमाते हुए कमरे से बाहर भागी।
तुरंत सुदामा की अम्मा की कमेंट्री चालू हो गई
अब तू ही बता यह बेचारे का क्या कसूर कितने दिन हो गए इस उद्धव को बोलते हुए जैसे ही इस चुड़ैल को टीवी पर देखता है यही मिठाई मांगने की जिद कर देता है।
मैंने नजाकत को समझते हुए बालक उद्धव को अपने पास बुलाया और बोला बेटा इससे भी अच्छी चॉकलेट दिलवा देता हूं आपको चलो मेरे साथ वह दहाड़े मारते हुए अपनी दादी से चिपक पड़ा ।
बेचारी दादी बड़े ही मार्मिक अंदाज से बोली अरे तुझे नहीं पता यह अपना सुदामा भी बदल गया
मैंने पूछा वह कैसे ?
बोली कब से इस उद्धव ने जिद लगा रखी है यह चुड़ैल वाली चॉकलेट खाने की पर कमबख्त अकेले रात को दोनों खा जाते हैं और सुबह पैकेट कूड़े के ढेर में दिखाई देता है। पर इस बालक के लिए एक टुकड़ा भी नहीं छोड़ते कितनी बार सुदामा को बोला कि पैसा मुझसे ले ले पर यह चुड़ैल वाली चॉकलेट इस बच्चे को दिला दे।
अब तू ही बता बेटा कैसे बोलूं उसे कि तू नई दुल्हन को तो रोज यह चुड़ैल वाली चॉकलेट खिलाता है। पर इस बच्चे को खिलाने के लिए तेरे पर टुकड़ा भी नहीं है।
मानो काटो तो खून नहीं था शरीर में हंसी भी आ रही थी और गैस भी बन रही थी तुरंत सुदामा की मां के पैर छुए बालक की जेब में 50 का नोट रखा और कमरे से बाहर निकल गया।
गेट बंद करते वक्त सुदामा की नई दुल्हन मंद मंद मुस्कुराकर लज्जित हो प्रणाम कर रही थी।
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नए पति पत्नी के मजाक की funny story
दोस्तों यह कहानी भी मैंने quora प्लेटफॉर्म पर पढ़ी थी और मुझे यह कहानी पढ़कर बहुत हंसी आयी इसलिए सोचा मैं इसे शेयर करूँ। वह लड़की कहती है कि बात मेरे शादी के दूसरे दिन कि है। नया नया घर , नये लोग , नयी नयी सी दुनिया सिर्फ़ एक पतिदेव ही थे जिन्हें ४-५ महीनों से जानने लगी थी।
सुबह सुबह उठते हि मैं उन्हें घर के सभी सदस्यों के बारे में पूछने लगी , पापाजी को क्या पसंद है? मम्मीजी की दिनचर्या क्या होती है ? जेठजी क्या करते है ? और ना जाने क्या क्या … वे भी बड़े चाव से मुझे सब के बारे में बताने लगे और कहा पापाजी किसी भी बहु से बात नहीं करते।सिर्फ़ इशारों में जवाब देते है , उनका मानना है बहुओं को परदे में रहना चाहिये और तुम भी इसका ख़याल रखना। ख़ासकर अपना घूँघट ग़लती से भी मत गिरने देना।
हे भगवान … मैं जितने उत्साह से चहक रही थी उतने ही उत्साह से मुरझा गयी।
सिर पर लम्बा घूँघट निकाले अपने कमरे से बाहर निकली , पापाजी सामने सोफ़े पे बैठे थे। डर के मारे उन्हें देखकर भी अनदेखा किया और किचन में भाग गयी।मेरा घूँघट देख मम्मीजी और भाभी भी अचंभित थी , उन्हें देर ना लगी ये समझने में की उनके बेटे कि ये करतूत है।फिर भी वे मेरा मज़ा ले रही थी।
मम्मीजी बोली , जाओ पापाजी को चाय दे आओ और उनका आशीर्वाद भी लेना। पहला दिन है तुम्हारा अपने हाथों से चाय दोगी तो उन्हें ख़ुशी होगी।”
मैं सहमी सी उन्हें चाय देने पहुँची, वे मुझ से कहने लगे, “ बिटिया इतना लम्बा घूँघट क्यूँ रखा है?”
मेरे मुँह से एक निकले ना दो .. मैं इशारों में सिर हिला रही थी।
वे फिर अचंभे से मुझे देखने लगे , कुछ बोलो भी बेटा।
मैंने फिर से सिर हिला दिया।
वे ज़ोर से मम्मीजी को आवाज़ लगाते हुवे कहने लगे , ए जी सुनते हो क्या हमें साबू जी ने (यानी मेरे मायके का सरनेम) धोका दे दिया ? बोलने वाली लड़की दिखायी और गूँगी पकड़ा गये।
सारा घर ठहाकों से गूँजने लगा , और मेरे पतिदेव की ये शरारत पकड़ी गयी।
आज भी जब हम सभी मिलते है , पापाजी एक बार तो उनके बेटे के कान पकड़ ही लेते है। मुझे इस तरह परेशान करने कि सज़ा अब भी उन्हें मिलती है
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कछुओं के परिवार की कहानी
यह कहानी एक कछुओं के परिवार की कहानी है यह कहानी मैंने कहाँ सुनी ये मुझे अच्छे से याद नहीं है पर कहानी funny होने के साथ साथ सिख देने वाली भी है। कहानी सिख क्या देती है यह जिम्मेदारी मैं आपके ऊपर छोड़ता हूँ मुझे कमेंट करके बताना की इस कहानी की सही सीख क्या है। आईये कहानी जानते हैं।
एक समय की बात कछुओं का एक परिवार पिकनिक मनाने की सोच रहा था। आप जानते ही हैं कि कछुए बहुत ही स्लो होते हैं और उनकी उम्र बहुत अधिक होती है। कछुओं के परिवार को पिकनिक मनाने के लिए अच्छी जगह डिसाइड करने में 7 साल का समय लग गया और पिकनिक के लिए सामान पैक करने में 4 साल का समय लग गया और खाने में कौन कौन सी चीजें ले जानी हैं ये डिसाइड करने में 2 साल का समय और लग गया।
तो अब उन्हें पिकनिक मनाने के लिए डिसाइडेड जगह के लिए निकलना था बस कछुओं का परिवार निकल पड़ा उन्हें उस स्थान तक पहुंचते पहुंचते 4 साल का समय लग गया। वह जगह तक पहुँच गए। पिकनिक मनाई और जब उन्हें भूख लगी तो वो खाना खाने के लिए इक्कठा हुए खाना खोला लेकिन जब उन्होंने देखा कि हम नमक साथ नहीं लाये तो बहुत आश्चर्य हुआ।
उन्होंने डिसाइड किया कि हमारे परिवार में छोटू सबसे तेज है इसलिए उसे वापिस नमक लाने के लिए भेजते हैं और वो जल्दी वापिस आ जायेगा। पर छोटू को डर था कि मेरे जाने के बाद मेरे ममी पापा खाना खा लेंगे इसलिए छोटू ने उनके सामने एक शर्त रखी कि जब तक मैं न आऊं तब तक आप लोग खाना मत खाना। उन्होंने कहा हाँ ठीक है हम खाना नहीं खायेंगे इतना कहकर छोटू नमक लाने के लिए चला गया।
उसका परिवार उसकी वेट करने लगा एक साल बिता पर छोटू नहीं आया दो साल बीते पर छोटू नहीं आया ऐसे ऐसे करके पुरे चार साल बीत गए पर छोटू के आने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए उसके परिवार ने सोचा अब खाना खा लेना चाहिए वो खाना खाने ही लगे थे कि छोटू झाड़ियों के पीछे से निकल कर जोर से बोला मुझे पता था आप विश्वास घात जरूर करोगे इसलिए मैं नामक लेने नहीं गया। आपको इस कहानी से क्या सिख मिलती है कमेंट जरूर करें।
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स्कूल की यादें
यह कहानी स्वंम मेरी है और जब मुझे यह याद आती है तो मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता तो मैंने सोचा कि अपनी कहानी बताने के बाद आपके चहरे पर भी एक मुस्कान आये तो आईये कहानी शुरू करते हैं।
यह बात उस समय की है जब मैं कक्षा छः में पढता था और वो स्कूल एक सरकारी स्कूल था। लेकिन स्कूल बहुत ही अच्छा था खेलने के लिए बहुत बड़ा ग्राउंड हुआ करता था बहुत से कमरे होते और दो पानी पिने के टंकियां हुआ करती थी। हमारा स्कूल दो हिस्सों में बंटा था एक प्राइमरी जो 1 से 5वी तक हुआ करती थी और दूसरा हिस्सा था हाई स्कूल जो छटी कक्षा से 12वीं तक था। उस समय मैं पांचवी से छटी कक्षा में नया नया प्रवेश कर चूका था।
उस समय एक खेल कूद की क्लास भी लगा करती थी। मुझे खेल कूद का बहुत ज्यादा शोख था। मैं कभी भी खेल कूद का मौका हाथ से नहीं जाने देता था। हर रोज की तरह हमारी खेल कूद की क्लास लगी और आज सर ने हमे ग्राउंड में खेलने को कहा। हम सभी अपने अपने मन पसंद खेल खेलने लगे और मैं पकड़म-पकड़ाई खेलने लगा। मैं खेल में इतना डूब चूका था कि उसके बाद की क्लास के बारे में याद ही नहीं रहा।
शायद मेरे साथ खेलने वाले साथियों के साथ भी ऐसा ही था। खेल कूद की क्लास खत्म हुई लेकिन फिर भी हम खेल रहे थे। सर आये हाथ में एक बहुत मजबूत छड़ी लेकर दौड़ते हुए और सभी मेरे साथी भागने लगे सर उनको दौड़ दौड़ कर मार रहे थे क्योंकि हम अगली क्लास के बारे में भूल गए थे और सर बहुत गुस्से में थे सभी भागे और मैंने भी अपने साथियों के साथ भगना चालू किया। सर ने एक एक करके सभी बच्चो को पकड़ लिए था और उन्हें सजा दे दी थी। पर अब मैं ही बचा था। मैंने सर को चकमा देने की सोची पर सर ने मुझे भागते हुए देख लिया। सर अब थक चुके थे इसलिए उन्होंने एक 10वी 11वी के छात्र को मेरे पीछे भेजा।
मैं भी थक चूका था और पानी की टंकी के पास पहुंच कर पानी पिने लगा। पानी पीते पीते सोच रहा था कि अगर मैं ओर भागा तो मामला आगे बढ़ जायेगा। इसलिए मैंने सर के पास जाकर माफ़ी मांगने की सोची और सर के पास जाने लगा। जैसे ही मैं वापिस लौटने लगा सर के पास जाने के लिए, सर द्वारा भेजा गया वह लड़का दौड़ते हुए आया और मुझसे पूछने लगा कि वह लड़का देखा है जो अभी भागते हुए गया।
मैं मन ही मन हंसा और सोचने लगा मैं ही तो वो लड़का हूँ। (मैंने सोचा बच गया उस लड़के को पता नहीं चला कि कौन था वो अब सर से माफ़ी भी नहीं मांगनी पड़ेगी और मैं चुपके से क्लास में चला जाऊंगा।) मैंने कहा हाँ वो पानी की टंकी की तरफ गया है। साथ ही में छटी कक्षा का एक और छात्र वहीँ पानी की टंकी के पास था।
वह खेल कूद विषय का छात्र नहीं था और कंप्यूटर साइंस की क्लास लगाकर आया था। उस लड़के ने सोचा यही वह लड़का है और उसे पकड़कर सर के पास ले गया। सर ने उसे बहुत डांटा और छड़ी से मारा मैं बच गया और बाद में अपने मित्रों को यह बात सुनाकर बहुत हंसा।
बाद में पता चला की जिसे सर ने मारा वह लड़का वह नहीं था और मैं कभी पकड़ा नहीं जा सका। आज भी जब मैं यह बात सोचता हूँ तो मुझे बहुत हंसी आती है। क्या आपके पास भी ऐसी कोई कहानी है अगर है तो हमे बताएं हम आपकी कहानी को आपकी फोटो के साथ शामिल करेंगे इन्ही कहानियों में।
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नर्क
एक आदमी की मौत हो गई और उसे अपने कर्मों के कारण नर्क की प्रासि हुई. उसने वहां जाकर देखा कि हर देश के लिए अलग-अलग नर्क है. वह अमरीकन नर्क में गया और पूछा कि यहाँ आत्माओं को किस तरह पीड़ा दी जाती है. उसे बताया गया – पहले तो वे आपको बिजली की कुर्सी पर एक घंटा बैठाकर करंट लगाते हैं. फिर आपको तीख़े कीलों वाले बिस्तर पर नंगे बदन घंटे भर सुलाते हैं. फिर अमरीकन राक्षत आता है जो दिनभर आपको चाबुक से कोड़े लगाता है.
उस आदमी को यह सारा सिलसिला पसंद नहीं आया और वह आगे बढ़ गया ।
उसने आगे जाकर जर्मनी, जापानी, आस्ट्रेलियाई इत्यादि तमाम देशों के नर्क देख डाले ।
सभी में जैसी सज़ा अमरीकन नर्क में दी जाती थी ।
लगभग उसी क़िस्म की सज़ा नर्क में आने वाली सभी आत्माओं को दी जाती थी. हाँ, धरती पर किए पापों की गंभीरता के आधार पर समय में कुछ कमी-बेसी जरूर हो जाती थी ।
घूमते घूमते वह आखीर में भारतीय नर्क में पहुँचा ।
वहां उसने देखा कि नर्क में प्रवेश के लिए आत्माओं की हजारों मील लंबी लाइन लगी है ।
आश्चर्य चकित होता हुआ उसने पूछा कि यहाँ किस किस्म की सज़ा आत्माओं को दी जाती है जिसके कारण इतनी लंबी लाइन लगी है?
उसे बताया गया कि – पहले तो वे आपको बिजली की कुर्सी पर एक घंटा बैठाकर करंट लगाते हैं । फिर आपको तीख़े कीलों वाले बिस्तर पर नंगे बदन घंटे भर सुलाते हैं ।
फिर भारतीय राक्षस आता है जो दिनभर आपको चाबुक के कोड़े लगाता है ।
उसे और ज्यादा आश्चर्च हुआ ।
उसने फिर पूछा – पर ऐसी ही सज़ा तो अमरीकन और तमाम अन्य देशों के नर्कों में भी है । वहाँ तो अंदर जाने वालों की ऐसी भीड़ नहीं दिखी ।
किसी ने उसकी जिज्ञासा शांत की – चूंकि यहाँ भीड़ के कारण बदहाली है, मेंटेनेंस बहुत घटिया है, बिजली आती नहीं अतः बिजली की कुर्सी काम नहीं करती, बिस्तर से कीलों को लोग चोरी कर ले जा चुके हैं और कोड़े लगाने वाले भारतीय राक्षस, भारतीय शासकीय सेवा में रह चुके हैं जो आते तो हैं, परंतु हाजिरी रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कैंटीन चले जाते हैं ।
Vaise tv ad ki kahani acchi thi…
Aapne school ki yaado ke bare main pucha darasal meri bhi 1 yaad hai ab usme hasi hai, galti hai, ya koi sikh ye aap mujhe batao… me jab 8th me tha mere ghar ki bagal wali chat par ret rakhi hui thi waha khelte hue mujhe 100rs mile me khus ho gaya aur ja kar mami ko de diye but unhone kaha tujhe mile hai to ye tere jo chahe kar so mene le liye…
Lekin kahi se us ghar ke makan malik ke bete ko ye pata chal gaya kyoki wo pese usi ne chupaye the ret main…
Usne mujhe school jate waqt meri gali ke starting point par rok liya aur mujhe dhamkane laga lekin usi waqt mere principel ka bhi nikalna huwa unhone pahchana to nahi but meri uniform dekhkar us ladke ko data aur chillaya to wo ladka bhag gaya aur sir bhi school ke liye nikal gaye …
Me school pahocha to prarthna ho rahi thi ye us samay rule huwa karte the kuch schoolo ke, prarthna ke baad unhone wo waqya dohraya jo mri gali ke bahar huwa tha aur kaha ke wo chup chap khada ho jaye aur mere pass aaye me dar gaya tha bahot lekin phir bhi himmat karke chala gaya sir ne kadak aawaj me mujhse pucha ki KYA HO RAHA THA WAHA mene 10 second ka break lekar ek jhut bola ki sir … USE USKE GHAR SE PESE CHURATE HUE MENE DEKH LIYA AUR USKE PAPA KO BATA DIYA ISILIYE WO MUJHSE LADAI KAR RAHA THA… mujhse galti ho gai sir aage se SUCH kabhi nahi bolunga uske baad to sir bhi 10 second ka break lekar bole…
NAHI BETA TUMNE ACHHA KAAM KIYA KUCH LOG ISE BADLA BOLENGE JO KI TUM DONO ME NAHI THA , KUCH LOG ISE CHUGLI BOLENGE LEKIN BADALA NAHI TO CHUGLI KESE ISILIYE ME ISE “SUCH” BOLUNGA…
hame har paristithi me kewal SUCH hi bolna chahiye aur mujhe “SABBAS” Bola