Very short but moral stories in hindi for class 2

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 परिश्रम का फल (Moral Stories In Hindi For Class 2)

moral stories in hindi for class 2

बहुत दिनो की बात है, फूलपुर नाम काएक गांव था। उस गांव में सभी लोगो मे आपस में बड़ा प्रेम था। मुसीबत पड़ने पर सभी एक दूसरे की सहायता करते थे। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती व पशुपालन था।

 

एक बार दुर्भाग्य से वहा अकाल पड़ा। वर्षा न होने से फसलें सब नष्ट हो गयीं। नदी, नाले व तालाब सूख गये। सभी लोग भूखे मरने लगे।  इकट्ठा किया हुआ अनाज सब खत्म हो गया। आदमी तो क्या पशु-पक्षी तक सभी बेहाल हो गये। लोग पीने के पानी के लिये भी तरसने लगे। ऐसे में मुखिया ने पंचायत बुलायी और सबसे सलाह मांगी। कोई भी सही सलाह न दे पाया।

 

रामू नाम के एक किसान ने कुआं खोदने की सलाह दी ताकि पीने के पानी की समस्या को ठीक किया जा सके। कोई भी उसकी इस बात से सहमत न था। सभी को लग रहा था कि यह बहुत मेहनत का काम है और जरूरी भी नहीं कि जहां कुआं खोदा जाये वहां पानी निकल ही आये। रामू को पूरा विश्वास था कि यदि सभी लोग मिलकर परिश्रम करें तो कुआं अवश्य खोदा जा सकता है।

 

पर कोई उसका साथ देने को तैयार न था। अन्तत: पंचायत बिना कोई निर्णय लिये ही उठ गयी पर रामू ने हिम्मत न हारी। रामू के मित्र शामू ने उसका साथ देने का निर्णय किया। दोनों मित्र कुदालें व फावड़े लेकर गांव के  मदिर में पहुंचे। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की और वहीं मंदिर के किनारे ही कुआ खोदने का निश्चय किया।

 

अपने हृदय में ईश्वर के प्रति असीम श्रद्धा व विश्वास लिये उन्होंने कार्य आरम्भ किया। वे दोनों कड़ा परिश्रम करते रहे। उन्होंने न रात को रात समझा, न दिन को दिन, बस मेहनत करते रहे। बहुत थक जाने पर थोड़ा विश्राम कर लेते और फिर जुट जाते।

 

गांव के लोग उन्हें मूर्ख कहते रहे पर दोनों मित्र अपनी ही धुन में लगन और मेहनत से कुआं खोदते रहे। सूरज की चिलचिलाती धूप भी उन्हें उनके निश्चय से डिगा नहीं पायी।

 

उनके शरीर से धारों-धार पसीना बहता रहा, हाथों में छाले पड़ गये पर वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे और आखिर वह दिन भी आ गया कि फावड़ा मारते ही जल की धारा फूट पड़ी।

 

खुशी के मारे उनकी आंखों में आंसू आ गये और गले रुंध गये। उन्होंने ईश्वर को लाख लाख धन्यवाद दिया। उनकी मेहनत सफल हो गयी थी। गांववालों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। कल तक जो उनका मजाक उड़ाते थे आज उनके सिर लज्जा से झुक गये।

 

रामू और शामू ने दिखा दिया था कि लक्ष्य के प्रति दृढ विश्वास लेकर यदि कड़ी मेहनत और लगन से काम किया जाये तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

 

शिक्षा (Moral Of The 2 Class Story)

“मेहनत का फल मीठा होता है।”

-डॉ. अर्चना पांडेय

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ईर्ष्या और जलन से नुकसान (Short Moral Stories In Hindi For Class 2)

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ईर्ष्या से नुकसान एक सिद्ध पुरुष थे। उनके पास एक सेठ पहुंचा। सेठ ने कहा-मैं आपकी शरण में आया हूं, मुझे कुछ दीजिए। सिद्ध पुरुष बोले-मैं तुझे एक शंख देता हूं। उससे तू जितना मांगेगा तुझे तो उतना ही मिलेगा, किन्तु पड़ोसी को तेरे से दोगुना मिलेगा। तू जलना मत। ईर्ष्या भी मत करना।

 

सेठ सिद्ध पुरुष से शंख लेकर घर पहुंचा। वह हजार मांगता है तो पडोसी को दो हजार मिलता है। वह लाख मांगता है तो उसके पड़ोसी को दो लाख मिलता है। यह कब सेठ को मंजूर था। यह तो मेरे से ही बड़ा वैभवशाली बन जायेगा। इसके सामने मैं सदा  छोटा आदमी ही रहूंगा।

 

इसकी उन्नति होगी। उसने सोचा-ऐसा कोई मार्ग निकालूं, जिससे इसका नुकसान हो जाये। ईर्ष्या का वेग बढ़ा, जलन ने धावा बोला-उसने अपने घर में चार कुएं खुदवाये, पड़ोसी के घर में आठ कुएं हो गये। अब क्या करूं? आखिर उसने शंख से कहा-मेरी एक आंख फोड़ दो। बस, देरी क्या थी ! उसकी आंख फूटते ही पड़ोसी की दोनों आंखें फूट गई। वह अन्धा हो गया। घर में जगह-जगह कुएं थे, कुएं में गिरकर पड़ोसी मर गया।

 

शिक्षा (Moral Of The 2 Class Story)

ईर्ष्यालु व्यक्ति कभी-भी दूसरों की उन्नति को सह नही सकता है । जलन-जलन से वह स्वयं की भी हानि करता है तथा औरों का भी।

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सबमें श्रेष्ठ कौन (Stories In Hindi For Class 2)

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एक बार सब देवताओं के आपस मे यह विवाद खड़ा हो गया कि सबसे पहले किस देवता की पूजा होनी चाहिए । पारस्परिक विवाद बढ़ा। सब मिलकर विष्णु जी के पास पहुंचे । हृदयस्थ विचारों को रखते हुए सबने कहा कि आप जो भी फैसला लेंगे हमे स्वीकार है ।

 

देवताओ की बातें सुनकर विष्णु ने कहा कि अब मैं तुम सबकी परीक्षा लेता हूं। जो उसमें प्रथम आये, वही सबसे पहले पूजा जायेगा। अतः तुम सब यहां से दौडो, जो देवता सारे संसार का चक्कर काटकर सबसे पहले मेरे पास पहुंचेगा वही सब देवताओं मे श्रेष्ठ माना जायेगा ।

 

सब देवता अपने-अपने वाहनों पर चढ़कर दुनिया का भ्रमण करने के लिए रवाना हुए। किन्तु गणेश जी ने मन-ही-मन सोचा कि मेरा वाहन चूहा बहुत छोटा है, कैसे होगी मेरी विजय । आखिर वे भी चले। कैलाश पर्वत पर पहुंचे। वहां शंकर और पार्वती तपस्या कर रहे थे । गणेशजी ने अपने माता-पिता को नमस्कार करके पांच परिक्रमा दी। वहां से रवाना हुए। कुछ ही समय में चूहा अपने सवार गणेशजी सहित विष्णु के पासपहुँच गया।

 

विष्णु भगवान ने पूछा सारे संसार का चक्कर लगाकर बड़ी जल्दी आ गए। गणेश जी बोले भगवन! मेरे माता पिता मेरे लिए ही नहीं बल्कि पुरे संसार के लिए तीनों लोकों के समान हैं। मैं उनकी पांच परिक्रमा लगाकर उनका आशीर्वाद लेकर आया हूँ। जिसने माता-पिता को आराध्य कर लिया है उसने पुरे संसार को जान लिया है। यह सुनकर विष्णुजी बहुत प्रसन्न हुए।

 

थोड़ी देर बाद एक एक करके सभी देवता वहां पहुँचने लगे। विष्णु जी न्याय सुनाते हुआ कहा कि गणेश जी ही सब देवताओं में सबमें श्रेष्ठ पूजनीय हैं। यह सुनते ही सबके चेहरे उतर गए। सबने पूछा यह कैसे ? वे कहते हैं संसार में माता सबसे अमूल्य निधि हैं।

 

जो माता पिता के कहे अनुसार चलता है वह सारे संसार को पा लेता है। सबसे पहले गणेश अपने माता पिता को पूरा संसार मान कर उनकी प्रक्रिमा कर मेरे पास पहुंचे इस तरह उनकी पुरे संसार की परिक्रमा हो गई। यह सुनकर गणेश जी देवताओं ने प्रथम पूजनीय माना।

 

 

शिक्षा (Moral Of The 2 Class Story)

“जो बच्चा अपने माता-पिता की सेवा करता हैं और उनकी हर एक बात मनाता हैंवह अपनी जिंदगी में हमेशा सफल होता है।”

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जिसका काम उसी को छाजे (Hindi Stories For Class 2)

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जाट और बनिये में परस्पर अच्छी दोस्ती थी। जाट खेती करता था। बनिया अपने व्यापार में मस्त रहता था। वर्षा नहीं होने से जाट बड़ा चिंतित रहने लगा। खेती हुए बिना परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा? एक दिन वह अपने मित्र बनिये के पास गया और बोला-मित्र! तेरे तो कमाई प्रतिदिन होती है, मैं आजकल बिलकुल बाली बैठा हूं, कोई रोजगार नहीं है।

 

कमाई का कोई साधन हो तो अवश्य बताना । सेठ बोला-मेरा खास व्यापार है बबूल के गोंद का। यहां गोंद काफी मिलता है। सस्ता है। दूसरी जगह का भाव तेज है। कमाई अच्छी होगी।

 

 

जाट ने सौ रुपयों का गोंद लेकर रख लिया। उसने सोचा, कोई थोक का ग्राहक आएगा तो बेच दूंगा। इधर वह बनिया ज्यों ही बोंद लेता त्यों ही बेच देता। कुछ ही दिनों पश्चात जोर से वर्षा हुई, जिससे गोंद खराब हो गया ।

 

इधर  भाव भी उतर गये। गोंद का बाजार बिलकुल मन्दा हो गया। जाट दौड़ा-दौड़ा बनिये के पास गया और बोला-भाई साहब! गजब हो गया। आखिर बनिये ने सारा माल ले लिया और सौ के तीस रुपये दिये। बनिये मे जाट को ठग लिया।जाट बेचारा हाथ मलता ही रह गया।

 

जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में दक्ष होता है, उसी में सफल होता है। जिसका जिसे अनुभव नहीं होता वह काम करने से आखिर पछताना पड़ता है।

 

 

शिक्षा (Moral Of The 2 Class Story)

“जिसको जो काम अच्छे से आता है उसे वही काम करना चाहिए।” 
 

दुर्जन का संग (Stories In Hindi For Class 2)

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एक हंस और एक कौवे में एक बार अच्छी दोस्ती हो गई। गगन विहरण करते हुए दोनों एक वृक्ष पर जा बैठे। प्रेमपूर्वक दोनों बातें करने लगे। किन्तु स्वभाव से दोनों अलग-अलग थे । हंस की गतिविधि सज्जन जैसी थी और कौवे की दुर्जन जैसी ।

 

अचानक उसी वृक्ष की शीतल छाया में विश्राम लेने के लिये थका हुआ एक मुसाफिर आ गया। वह अपनी चादर बिछाकर सो गया। श्रान्त होने के कारण सहसा गहरी नीद आ गई। वृक्ष पर बैठे हुए हंस ने देखा कि पथिक के बदन पर सूर्य की कुछ किरणें पड़ रही हैं।

 

तीव्र ताप के कारण इसकी नींद टूट जायेगी। इस कारण हंस अपनी पांखें फैलाकर बैठ गया। सारी धूप उसके पंखों पर समाहित हो गई। यह बात कौवे को अच्छी नहीं लगी। उसने सोचा- हंस बिल्कुल भोला है। पथिक की चिन्ता में खुद कितना ताप सह रहा है। पथिक को आराम क्यों देता है ? उसके सुख को पचा नहीं सकने के कारण कौवे ने मुसाफिर के मुख पर विष्टा कर दी।

 

पाथिक की आँखें खुली। सोचा यह दुश्मन कौन? पंख फैलाये हंस को देखते हुए वह तो आग-बबूला हो गया। मलकर्ता उसी हंस को समझकर उसे गोली से मार दिया। 

 

शिक्षा (Moral Of The 2 Class Story)

“कभी भी बुरे इंसान के साथ नहीं रहना चाहिए उसे अपने बुरे कामों से खुद भी हानि होती है और साथ रहने वालों को भी हानि होती हैं।”
 

लालच बुरी बला है  (2nd Class Stories In Hindi)

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अति लोभ से अनिष्ट एक दर्जी धन कमाने के लिए परदेस जा रहा था। रास्ते में कोई देवी का मंदिर आ गया । दर्जी ने देवी की भक्तिभाव से पूजा की और बोला-“हे देवि! यदि परदेस में मेरा व्यापार अच्छा चलेगा, और अच्छी कमाई होगी तो वापस आते समय तेरे चरणों में एक नारियल अवश्य चढ़ाऊंगा।”

 

बस, वह कलकत्ता जैसे शहर में जा पहुंचा। उसने अच्छा मुहूर्त देखकर कपड़े का व्यापार शुरू कर दिया। उस दर्जी की किस्मत अच्छी होने के कारण व्यापार काफी जोर से चला । कुछ ही समय में अच्छी पूंजी कमाकर वह अपने देश के लिए रवाना हो गया। रास्ते में वही देवी का मंदिर आया।

 

अचानक उसको याद आते ही समीपस्थ गांव में नारियल खरीदने के लिए गया। दुकानदार ने कहा-“एक नारियल के दो आने लगेगे।” उसने कहा-“डेड़ आना ले लो।” सौदा नहीं पड़ने के कारण दूसरी-तीसरी दुकान पर गया। एक नारियल डेड़ आने का बताया गया। उसने कहा–“एक आना दूंगा।”

 

फिर  आगे चला। कई दुकानदार दो पैसे में नारियल देने लगे, फिर भी उसने नहीं लिया क्योंकि अति लोभी होने के कारण वह एक ही पैसे में लेना चाहता था। व्यापारियों ने कहा-“जंगल निकट ही है। नारियल के काफी पेड़ है, वहां मुफ्त में ही मिल जायेगा।” वह दर्जी जंगल में गया और अच्छा सा वृक्ष देखकर नारियल तोड़ने के लिए ऊपर चढ़ा।

 

ज्यों ही हाथों से डाली को पकड़ा त्योंही पैर फिसल गये और वह एक डाली में जा फंसा, जिसे पकड़कर वह लटक गया। पास ही में एक कुआ था। वह विचार कर रहा है-हाय ! दो पैसे के लोभ में फंसकर मैंने बहुत ही बड़ी गलती की।

 

अब इस दुःख से छुटकारा कैसे होगा। इतने में एक ऊंट वाला आया और उसने कहा-“यदि तू मुझे नीचे उतार देगा तो मैं तुझे सौ रुपया इनाम दूंगा।” रुपयों का नाम सुनते ही जब ऊंट पर खड़े होकर उसने उसके पैर पकड़े तो इतने में वह ऊंट खिसक कर आगे बढ़ गया।

 

ऊंट वाला भी लटक गया और उसने कहा-“भाई ! तू छोड़ मत देना नहीं तो हम दोनों ही मरेंगे।”  इतने में एक घोड़ी वाला आ पहुंचा।

 

दोनों ने आवाज दी-“भाई ! हम तेरा उपकार नहीं भूलेंगे । यदि तुम हमें इस संकट से बचा दोगे, तो हम तुझे एक एक हजार रुपये इनाम में देंगे।” वह भी घोड़ी पर चढ़ा, उसकी टांग पकड़ी ही थी कि घोड़ी चमककर दूर चली गई और वह भी लटक गया।

 

दोनों ने उस दर्जी से कहा-“भाई ! हाय छोड़ मत देना, अब तो तेरे ही चरणों में जीवन है। हम दोनों तुमको एक-एक हजार मुहरें देंगे।” मोहरों की बात सुनते ही उस दर्जी ने सोचा अब तो महल बनाऊंगा। वह इस खुशी में तो फूल गया और अपने भान को भी भूल गया। अचानक हाथ छूटे और तीनों ही कुंए में जा गिरे।

 

शिक्षा (Moral Of The 2 class Story)

“लालच करने वाले को हमेशा हानि होती है।”

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