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एक नजर में परिचय
जन्म | नरेन्द्रनाथ दत्त 12 जनवरी 1863 कलकत्ता (अब कोलकाता) |
मृत्यु | 4 जुलाई 1902 (उम्र 39) बेलूर मठ, बंगाल रियासत, ब्रिटिश राज (अब बेलूर, पश्चिम बंगाल में) |
गुरु/शिक्षक | रामकृष्ण परमहंस |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
स्वामी विवेका नन्द जी के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहँस था। जैसा की आप जानते है कि स्वामी विवेकानद को उनके भाषण के कारण अधिक जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद शास्त्र वेद के बहुत बड़े विद्वान थे। वह शास्त्र का ज्ञान न ही भारत अपितु पुरे संसार को देना चाहते थे। तो आईये जानते हैं स्वामी विवेकानंद जी के शिक्षा पर विचारों को जो किसी भी व्यक्ति को सफल बना सकती हैं।
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स्वामी विवेकानंद जी के शिक्षा पर विचार
“उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको मत।” ~ स्वामी विवेकानंद
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“हमे ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक विकास हो, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।” ~ स्वामी विवेकानंद
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“जिस अभ्यास से मनुष्य की इच्छाशक्ति, और प्रकाश संयमित होकर फलदाई बने उसी का नाम है शिक्षा।” ~ स्वामी विवेकानंद
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“समस्त ज्ञान चाहे वो लोकिक हो या आध्यात्मिक, मनुष्य के मन में है परन्तु प्रकाशित ना होकर वह ढका रहता है । अध्ययन से वह धीरे धीरे उजागर होता है।” ~ स्वामी विवेकानंद
“विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन होना चाहिए ।” ~ स्वामी विवेकानंद
“ज्ञान की प्राप्ति के लिए केवल एक ही मार्ग है और वह है ‘एकाग्रता’ ।” ~ स्वामी विवेकानंद
“एकाग्रता की शक्ति ही ज्ञान के खजाने की एकमात्र कुंजी है ” ~ स्वामी विवेकानंद
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“ज्ञान का दान मुक्तहस्ट होकर, बिना कोई दाम लिए करना चाहिए ।” ~ स्वामी विवेकानंद
“गुरु के प्रति विश्वास, नम्रता, विनय, और श्रद्धा के बिना हममें धर्म का भाव पनप नहीं सकता ।” ~ स्वामी विवेकानंद
“अधिकांश महापुरुषों को सुख की अपेक्षा दुख और संपत्ति की अपेक्षा दरिद्रता ने अधिक शिक्षा दी है।” ~ स्वामी विवेकानंद
“हम स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करते हैं।” ~ स्वामी विवेकानंद
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“जब मन को एकाग्र करके अपने ऊपर लगाया जाता है तो हमारे भीतर के सभी हमारे नोकर बन जाते हैं।” ~ स्वामी विवेकानंद
“मनुष्य जैसा सोचता है वैसा बन जाता है ।” ~ स्वामी विवेकानंद
“आत्मविश्वास मानवता का एक शक्तिशाली अंग है।” ~ स्वामी विवेकानंद
“शिक्षक अर्थात गुरु के व्यक्तिगत जीवन के बिना कोई शिक्षा नहीं हो सकती।” ~ स्वामी विवेकानंद
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“शिष्य के लिए आवश्यकता है शुद्धता, ज्ञान की सच्ची लगन के साथ परिश्रम की।” ~ स्वामी विवेकानंद
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मस्तिष्क में अनेक तरह का ज्ञान भर लेना, उससे कुछ काम न लेना और जन्म भर वाद विवाद करते रहने का नाम शिक्षा नहीं है। ~ स्वामी विवेकानंद
शिक्षा और मेहनत एक सुनहरी चाबी होती है जो बंद भाग्य के दरवाजों को आसानी से खोल देती है ~ स्वामी विवेकानंद
यदि गरीब लड़का शिक्षा के लिए नहीं आ सकता है, तो शिक्षा उसके पास जानी चाहिए। ~ स्वामी विवेकानंद
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है । ~ स्वामी विवेकानंद
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है । ~ स्वामी विवेकानंद
तब तक आपको कोई शिक्षित नहीं कर पायेगा जब तक आप स्वयं प्रयास नहीं करते ~ स्वामी विवेकानंद
महिलाओ को ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए की वे आत्मनिर्भर बन सके और अपनी समस्या खुद हल करने में समर्थ बन सके। उनमे एक आदर्श चरित्र का विकास हो सके। ~ स्वामी विवेकानंद
किसी धर्म को विशेष शिक्षा से जोड़ना उचित नहीं है। सभी धर्मो की आवश्यक सामग्री को शिक्षा से जोड़ना चाहिए। ~ स्वामी विवेकानंद